Janmashtami 2020: भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था. जिस समय भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ उस समय रोहिणी नक्षत्र था. इसलिए भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी की तिथि को मनाया जाता है. जब भाद्रपद मास की अष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र हो तो इसे बहुत ही शुभ माना जाता है.


आकाशवाणी सुनकर कंस ने श्रीकृष्ण के माता पिता को कारागार में डाल दिया
पौराणिक कथाओं के अनुसार द्वापर युग में मथुरा नगर में उग्रसेन राजा राज्य करते थे. उनके पुत्र का नाम कंस था. लेकिन उसने एक दिन मौका पाकर अपने पिता को सिंहासन से उतारकर उन्हें कारागार में डाल दिया और स्वयं को मथुरा का राजा घोषित कर दिया. कंस की एक बहन भी थीं जिनका नाम देवकी था. देवकी का विवाह वासुदेव के साथ तय हुआ और धूमधाम से विवाह की सभी रस्मों को पूरा किया गया लेकिन कंस जब देवकी को विदा करने के लिए रथ से जा रहा था, तभी आकाशवाणी हुई कि देवकी का आठवां पुत्र कंस का वध करेगा. आकाशवाणी सुनकर कंस भयभीत हो गया उसने देवकी को मारने की ठान ली, लेकिन वासुदेव ने उसे समझाया कि इसमे देवकी का कोई दोष नहीं है, देवकी की आठवीं संतान से भय है. इसलिए वे अपनी आठवीं संतान को कंस को सौंप देंगे. कंस को वासुदेव की बात समझ में आ गई और लेकिन उसने देवकी और वासुदेव को कारागार में कैद कर लिया.


कारागार में हुआ भगवान श्रीकृष्ण का जन्म
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म जब हुआ तो आसमान में घने काले बादल छा गए. तेज बारिश होने लगी और आसमान में बिजली कड़कने लगी. रात ठीक 12 बजे कारागार के सारे ताले खुल गए और कारागार की सुरक्षा में लगे सभी सैनिक गहरी नींद में सो गए. तब वासुदेव और देवकी के सामने भगवान विष्णु प्रकट हुए और उन्होंने कहा कि वे कृष्ण के रूप में आठवां अवतार लेंगे. उन्होंने वासुदेव जी से कहा कि वे उन्हें तुंरत गोकुल में नंद बाबा के यहां पहुंचा दें और उनके यहां अभी-अभी जन्मी कन्या को लाकर कंस को सौंप दें. वासुदेव ने ऐसा ही किया. कंस को जैसे ही कन्या दी, तो उसने कन्या को मारने के लिए जैसे ही हाथ उठाए तभी कन्या आकाश में गायब हो गई और भविष्यवाणी हुई कि कंस जिसे मारना चाहता है वो तो गोकुल में पहुंच चुका है. इतना सुनते ही कंस भयभीत हो गया. कृष्ण को मारने के लिए कंस ने गोकुल में कई राक्षस भेजे. जिनका बारी बारी से कृष्ण ने वध कर दिया. अंत में श्रीकृष्ण ने कंस का भी वध कर दिया.


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