भादप्रद की अष्टमी को जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है. इस तिथि पर मध्यरात्री में भगवान कृष्म का जन्म हुआ था. श्रीकृष्ण का जन्म किसी महल में नहीं बल्कि जेल में हुआ था. उनका लालन-पालन भी उनके माता-पिता ने नहीं किया था. कृष्ण के जन्म लेते ही कई चमत्कार हुए थे जिससे कृष्ण जेल से गोकुल पहुंच गए थे. जानते हैं कृष्ण के जन्म की पूरी कथा.


द्वापर युग में मथुरा में राजा उग्रसेन का राज था. कंस उनका पुत्र था. वह बहुत अत्याचारी था उसने अपने पिता को सिंहासन से उतार दिया और खुद राजा बन गया. कंस ने अपने पिता को कारागार में डाल दिया.


कंस की बहन का विवाह वासुदेव से हुआ था. कंस ने अपनी बहन का विवाह धूमधाम से किया. जब बहन को विदा करने का समय आया तो कंस देवकी और वासुदेव को रथ में बैठाकर स्वयं ही रथ चलाने लगा तभी आकाशवाणी हुई कि देवकी का आठवां पुत्र ही कंस का काल होगा.


इसके बाद कंस ने देवकी और वासुदेव को जेल में डाल दिया. जब भी देवकी के कोई संतान होती तो वह उसे मार देता. इस तरह भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में श्रीकृष्ण जी ने जन्म लिया.


कृष्ण के जन्म के बाद हुए कई चमत्कार
1-श्रीकृष्ण के जन्म लेते ही कारागार में एक तेज प्रकाश छा गया. जेल के सभी दरवाजे अपने आप खुल गए और सभी सैनिको को गहरी नींद आ गई. देवकी और वासुदेव की बेड़ियां भी अपने आप खुल गईं.


2-वासुदेव और देवकी के सामने भगवान विष्णु प्रकट हुए और कहा कि उन्होंने ही कृष्ण रुप में जन्म लिया है. भगवान विष्णु ने वासुदेव से कहा कि वे कृष्ण को इसी समय गोकुल में नन्द बाबा के यहां पहुंचा दें और उनकी कन्या को लाकर कंस को सौंप दें.


3-वासुदेव को गोकुल जाने के लिए यमुना नदी पार करनी थी लेकिन उस रात भारी बारिश हो रही थी. वासुदेव कृष्ण को टोकरी में लेकर यमुना नदी में प्रवेश कर गए. यमुना नदी भारी उफान पर थी लेकिन जैसे ही यमुना नदी ने कृष्ण के पैरों को छुआ नदी का तेज बहाव शांत हो गया और वासुदेव ने नदी आसानी से पार कर ली.


4-वासुदेव जी गोकुल में कृष्ण जी को नंद को दे आए वहां से कन्या को ले आए. वासुदेव ने कन्या कंस को दे दी. वह कन्या कृष्ण की योगमाया थी. जैसे ही कंस ने कन्या को मारने के लिए उसे पटकना चाहा तो कन्या उसके  हाथ से छूटकर आकाश में चली गई और तभी भविष्यवाणी हुई कि कंस को मारने वाले ने जन्म ले लिया हैं और वह गोकुल में पहुंच चुका है.


5-कथा के अनुसार नंदराय वासुदेव के आने का इंतजार कर रहे थे और उन्होंने खुद अपनी कन्या उन्हें सौंपी थी लेकिन इस घटना के बाद न नंद को कुछ याद रहा और न वासुदेव को.


कृष्ण जी को मारने के लिए कंस ने बहुत प्रयास किए लेकिन सब असफल रहे. कई राक्षसों को भेजा बालकृष्ण ने सभी का वध कर दिया. आगे चलकर कंस ने कृष्ण को मथुरा में आमंत्रित किया. मथुरा  पहुंचकर भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का वध करके प्रजा को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलवाई और उग्रसेन को फिर से राजा बना दिया.


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