इस साल 12 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी. यह हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है. भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएं भारतीय जनमानस में रच बच गई हैं. उन्हीं लीलाओ में उनकी प्रेम लीला भी शामिल है. भगवान श्री कृष्ण और राधा अध्यात्मिक प्रेम के प्रतीक बन गए हैं. दोनों एक दूसरे के हृदय में रहते हैं. हालांकि एक बार ऐसा भी हुआ था कि जब राधा श्रीकृष्ण से दूर-दूर रहने लगी. यहां तक कि राधा ने कृष्ण से यह भी कह दिया कि मुझे मत छूना.


कथा कुछ यूं हैं कि भगवान श्री कृष्ण ने कंस के भेजे हुए असुर अरिष्टासुर का वध कर दिया था. अरिष्टासुर बैल का रूप धारण कर आया था. यही वजह थी कि राधा और अन्य गोपियों ने कृष्ण को गौ का हत्यारा मान लिया.


कृष्ण ने राधा को समझाया कि उन्होंने बैल की नहीं बल्कि एक असुर को मारा है. हालांकि राधा यह सुनकर भी नहीं मानी. इसके बाद श्री कृष्ण ने अपनी ऐड़ी जमीन पर पटकी और वहां जल की धारा बहने लगी जिससे एक एक कुंड बन गया. श्री कृष्ण ने सभी तीर्थों से यहां आने के लिए कहा और सभी तीर्थ वहां उपस्थिति हो गए.  इसके बाद सभी कुंड में प्रवेश कर गए.


श्री कृष्ण ने इस कुंड में स्नान किया. स्नान के बाद उन्होंने कहा कि इस कुंड में स्नान करने वाले को एक ही स्थान पर सभी तीर्थों में स्नान करने का पुण्य मिल जाएगा. इस घटना की निशानी आज भी गोवर्धन पर्वत की तलहटी में कृष्ण कुंड के रुप में मौजूद है.


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