Janmashtami Puja Mantra: हिंदी कैलेंडर के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 29 अगस्त, दिन रविवार की रात 11 बजकर 25 मिनट से लग रही है. वहीं इस तिथि का समापन 30 अगस्त दिन सोमवार को रात 12 बजकर 24 मिनट पर होगा. वहीँ रोहिणी नक्षत्र का प्रवेश भी 30 अगस्त को सुबह 6 बजकर 49 मिनट पर हो जाएगा.
ऐसे में जन्माष्टमी पर जयंती योग का निर्माण हो रहा है. इस योग में भक्तों को अपनी राशि के अनुसार भगवान श्री कृष्ण की पूजा करनी चाहिए. मान्यता है कि इस महासंयोग में व्रत एवं विधि विधान पूर्वक पूजा करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होगी. यह व्रत भक्तों को आर्थिक, शारीरिक, मानसिक कष्टों से मुक्ति दिलायेगा.
किस राशि के अनुसार मत्र
- मेष : ओम कमलनाथाय नम:
- वृष : श्रीकृष्णाष्टक का पाठ, सफेद फूल चढ़ाएं
- मिथुन : ओम गोविंदाय नम:
- कर्क : राधाष्टक का पाठ,सफेद फूल चढ़ाएं
- सिंह : ओम कोटि सूर्य संप्रयाय नम:
- कन्या : ओम देवकीनंदनाय नम:
- तुला : ओम लीलाधराय नम:
- वृश्चिक : ओम बराहाय नम:
- धनु और मीन : ओम नमो भगवते वासुदेवाय नम:
- मकर और कुंभ : ओम नमो कृष्ण वल्लभाय नम:
जन्माष्टमी पर श्री कृष्ण पूजा का महत्व
इस बार श्री कृष जन्माष्टमी पर विशिष्ट योग का निर्माण हो रहा है. ऐसे में भक्तों को पूरे दिन व्रत रहकर रात में जयंती योग में विधि विधान से पूजा करें.इससे भगवान श्री कृष्ण प्रसन्न होकर उनके सारे कष्टों को हर लेंगे. उन्हें मनवांछित फल प्राप्त करने का आशीर्वाद देंगे. मान्यता है कि इस योग में पूजन करने से भगवान श्री कृष्ण की कृपा से भक्तों के 3 जन्मों के पाप मिट जाते हैं.