Janmashtami 2022 Lord Krishna Namkaran: श्रीहरि विष्णु जी के आंठवें अवतार श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को हर साल जन्माष्टमी के रूम में मनाया जाता है. भादो मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मध्यरात्रि के समय रोहिणी नक्षत्र में बाल गोपाल ने माता देवकी के गर्भ जन्म लिया था. इस साल कृष्ण जन्माष्टमी 18 अगस्त 2022 (Krishna janmashtami 2022) को है. आइए जानते हैं भगवान कृष्ण का नामकरण किसने किया था.
कैसे-किसने किया बलराम और कृष्ण का नामकरण
पौराणिक कथा के अनुसार कृष्ण जन्म के बाद उनके पिता वासुदेव अपने पुत्र को कंस से बचाने के लिए नंदबाबा के यहां छोड़ आए थे. मां यशोदा ने कृष्ण का पालन पोषण किया. ऋषि गर्ग यदुवंश के कुलगुरु थे. एक बार वो किसी बच्चे के नामकरण के लिए गोकुल आए थे. इस दौरान नंदबाबा और यशोदा से भी भेंट हुई. मुलाकात के वक्त उन्होंने गर्ग ऋषि से अपने दो बालकों का नामकरण का आग्रह किया. ऋषि गर्ग कंस के डर से नामकरण करने से मना कर दिया, इस पर नंदबाबा बोले कि आप चुपके से गौशाला में नामकरण कर दीजिए किसी को पता नहीं चलेगा.
ऐसे हुआ बलराम का नामकरण
- नामकरण से पूर्व ऋषि की परीक्षा लेने के लिए देवी रोहिणी और मां यशोदा ने अपने पुत्रों की अदला बदली कर ली.
- गर्गचार्य ने यशोदा के हाथ में बालक को देखते ही पहचान गए कि ये रोहिणी पुत्र है. इस कारण बालक का नाम रौहणेय होगा.
- ये पुत्र अपने गुणों से लोगों को प्रसन्न करेगा, तो इसका एक नाम राम होगा.
- ये बहुत बलशाली होगा इसलिए लोग इसे बल भी कहेंगे. ये यदुवंशियों में आपसी प्रेम बनाए रखेगा. अत: ये बलराम नाम से जाना जाएगा.
कृष्ण को देखकर ऋषि खो बैठे सुध
- ऋषि गर्ग में रोहिणी की गोद में बालक को देखा तो वो मनमोहक छवि को देखकर अपमी सुध खो बैठे. एकटक बालक को निहारते रहे.
- ऋषि बोलने ही वाले थे कि ये कोई साधारण बालक नहीं उससे पहले ही कृष्ण जी ने गर्गाचार्य की तरफ उंगली उठाई और आंखों ही आंखों में अपनी लीला दिखाते हुए उनका राज बताने से रोक दिया.
- गर्गाचार्य ने कहा कि ये बालक अनेकों नामों से जाना जाएगा. इसके रूप और नाम गिनती से परे हैं. इस बार यह काले रंग में आया है, इसलिए इसका नाम कृष्ण होगा.
- इसके रहते गोकुल आनंदित रहेगा, विपत्तियों से मुक्त रहोगे. ये कन्हैया, कान्हा, किशन या किसना के नाम से भी जाना जाएगा.
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