(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Janmashtami 2023: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर बच्चों को जरुर सुनाएं कान्हा की जन्म कथा, संतान में आते हैं अच्छे गुण
Janmashtami 2023: जन्माष्टमी का पर्व हर साल बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है. इस दिन का महत्व हमें अपने बच्चों को जरुर बताना चाहिए. जन्माष्टमी के अवसर पर जानें श्री कृष्ण की जन्म कथा.
Shri Krishna Janm Katha: भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है. इस दिन श्री कृष्ण का जन्म हुआ था. बच्चों में अक्सर श्रीकृष्ण के जन्म की कथा बहुत प्रचलित होती है. साथ ही कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भी श्रीकृष्ण जन्म की इस पवित्र कथा का पाठ जरुर करना चाहिए. अक्सर मां, दादा दादी अपने बच्चों को पोते-पोतियों को श्री कृष्ण की बाल लीलाओं के बारे में बताती हैं और उनकी इस रोचक कथाओं को सुन कर आज भी बच्चे इसका आनंद लेते हैं और उनकी शिक्षाओं को जीवन में उतारने का प्रयास करते हैं.
श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास की रात में रोहिणी नक्षत्र में मथुरा के कारागार में हुआ था. वासुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ. मथुरा के राजा कंस की बहन देवकी का विवाह वासुदेव से हुआ. एक बार कंस अपनी बहन को उसके ससुराल पहुंचाने जा रहें थे, तभी रास्ते में भविष्यवाणी हुई- हे कंस, जिस देवकी को तू बड़े प्रेम से ले जा रहा है, उसी में तेरा काल बसता है. इसके गर्भ से उत्पन्न होने वाला आठवां बालक तेरा वध करेगा.
कंस से इसके बाद देवकी के पति वासुदेव को मारने का सोचा, देवकी के अपने भाई को वासदेव को मारने से रोका और कहां कि 'मेरे गर्भ से जो संतान होगी, उसे मां तुम्हारे सामने ला दूंगी, वासुदेव को मारने से कोई लाभ नहीं होगा. कंस ने देवकी की इस बात को मान लिया और मथुरा वापस चला गया और देवकी और वासुदेव को कारागृह में डाल किया.
वासुदेव-देवकी के एक-एक करके सभी 7 बच्चों का कंस ने अंत कर दिया, अब आठवां बच्चा होने वाला था. वहीं नंद और यशोदा को भी बच्चा होने वाला था. उन्होंने वसुदेव और देवकी के दुखी जीवन को देखकर एक उपाय रचा. संयोग से यशोदा के गर्भ से एक कन्या ने जन्म लिया जो माया थी. श्रीकृष्ण के जन्म के वक्त प्रकाश हुआ, शंख नाद हुआ और चतुभुर्ज भगवान प्रकट हुए, वासुदेव और देवकी भगवान के चरणों में गिर पड़े. तब भगवान ने पुन: नवजात शिशु का रुप धारण कर लिया और वासुदेव जी नंदजी के घर वृंदावन में सुला आए और उनकी घर जन्मी कन्या को ले आए.
जब कंस को सूचना मिली की वासुदेव और देवकी की आठवी संतान पैदा हो चुकी है. तो कंस ने नवजात कन्या को छीनकर पृथ्वी पर पटक देना चाहा, कन्या आकाश में उड़ गई और कह कर गई 'अरे मूर्ख, मुझे मारने से क्या होगा? तुझे मारने वाला जन्म ले चुका है, और वही तुझे तेरे पापों का दंड देगा.
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