Janmashtami 2023: देशभर में जन्माष्टमी की धूम देखने को मिल रही है. पंचांग के अनुसार, जन्माष्टमी का पर्व भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. वहीं तिथिनुसार इस साल 2023 में जन्माष्टमी 06 और 07 सितंबर 2023 दोनों दिन मनाई जा रही है.


भगवान कृष्ण के जीवन से जुड़ी कई लीलाएं और गाथाओं का वर्णन धार्मिक ग्रथों में मिलता है. जन्माष्टमी के मौके पर मंदिर समेत कई जगहों पर बड़े पैमाने में इस उत्सव का आयोजन किया जाता है और इस दौरान भगवान कृष्ण की लीलाओं को प्रतिकात्मक रूप नाटक या नृत्य आदि के माध्यम से दर्शाया जाता है.



लेकिन इसी के साथ जन्माष्टमी का त्योहार भागवत गीता (Bhagavad Gita) को भी याद करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है, जिसका ज्ञान भगवान कृष्ण ने महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन को दिया था. लेकिन आज के तौर में भी इसक पाठ बहुत जरूरी है. भागवत गीता के पाठ से आप जरूरी ज्ञान को हासिल कर अपने जीवन को सफल और सुखी बना सकते हैं.


आज के समय में हर व्यक्ति यह चाहता है कि उसका जीवन आर्थिक दृष्टि से मजबूत हो. इसके लिए आपको गीता का पाठ जरूर करना चाहिए. गीता में आर्थिक जीवन से जुड़ी ऐसी कई बातें बताई गई हैं, जिससे आप अपने जीवन को आर्थिक तौर पर स्टेबल रख सकते हैं. जानते हैं इसके बारे में.


आर्थिक जीवन के लिए भागवत गीता से लें भगवान श्रीकृष्ण के ये सीख



  • गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि, भोग में क्षणिक भर के लिए सुख मिलता है लेकिन त्याग में स्थायी आनंद है. यह इस बात की सीख देता है कि, हमें बाजारवाद से बचना चाहिए. ऐसी चीजों पर खर्च करने से बचें, जो आपको क्षणिक भर का सुख देने के लिए लंबे समय तक कर्ज में डालता हो. इसके बजाय आप स्थायी आनंद की खोज में रहें.

  • भागवत गीता में परिवर्तन को संसार और जीवन का अभिन्न अंग बताया गया है. आर्थिक तौर पर इसका संदर्भ है कि, बदलती बाजार स्थितियों और निवेश के अवसरों को अपनाएं. क्योंकि वित्तीय तौर पर दुनिया विकसित हो रही है और ऐसे में आपके द्वारा किया गया निवेश महत्वपूर्ण हो सकता है.

  • भगवान कृष्ण वित्तीय समेत जीवन के अन्य पहलुओं में धैर्य और दृढ़ रहने की सीख देते हैं. इस बात का ध्यान रखें कि, किसी भी निवेश को बढ़ने और फलने-फूलने में समय लगता है. अगर आप अपने वित्तीय निवेश से लाभ की इच्छा रखते हैं तो इसके लिए आपको दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य रखना और अल्पकालिक बाजार के उतार-चढ़ाव से प्रभावित नहीं होना चाहिए. क्योंकि धैर्य और दृढ़ता से ही बेहतर वित्तीय परिणाम मिल सकता है.

  • भगवद गीता में भगवान कृष्ण विविधीकरण या विविधताओं पर भी जोर देते हैं. निवेश की दुनिया में हमारी निवेश सूची में विविधता लाने से जोखिमों को कम करने और रिटर्न को बढ़ाने में मदद मिलती है. परिसंपत्ति वर्ग, उद्योग जगत और भौगोलिक क्षेत्रों में निवेश करने से जोखिम फैलाने और हमारे निवेश परिणामों को अनुकूलित करने में मदद मिलती है.

  • हर व्यक्ति चाहता है कि उसके जीवन में स्थिरता और खुशी बनी रही. लेकिन आर्थिक तौर पर यह हमेशा के लिए संभव नहीं है. बात जब निवेश की हो तो आपको इनकम के साथ जोखिम के लिए भी तैयार रहना होगा. भागवन गीता में भगवान जोखिम और फल के बीच संतुलन बनाने को महत्वपूर्ण मानते हैं.

  • भागवत गीता में भगवान कहते हैं कि, व्यक्ति को अपना कर्म करते रहना चाहिए और फल की कामना न करते हुए सिर्फ ईश्वर पर भरोसा रखना चाहिए. ठीक इसी तरह से वित्त के संदर्भ में इसकी व्याख्या नैतिक और जिम्मेदार निवेश विकल्प बनाने के रूप में की जा सकती है.

  • आत्म सुधार के लिए भगवान कृष्ण गीता में आत्म सुधार की नीति पर बल देते हैं. यही सिद्धांत वित्तीय स्थिति पर भी लागू होती है. निवेश के लिए विभिन्न निवेश उपकरणों, बाजार के रुझान और आर्थिक कारकों को समझकर इस विषय में जरूरी बातों को समझकर ही आपको इसका लाभ मिल सकता है.


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