Jaya Ekadashi 2024: माघ महीने के शुक्ल पक्ष की जया एकादशी 20 फरवरी 2024 को है. इस दिन जगत के पालनहार श्रीहरि की पूजा करने से साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है. विष्णु जी को नारायण भी कहा जाता है.


जब चारों ओर से परेशानियों ने घेर रखा हो, बार-बार असफलता का सामना करना पड़ रहा हो जया एकादशी के दिन नारायण स्तोत्र का पाठ व्यक्ति के समस्त दुखों का नाश करने में मदद करता है. मान्यता है जया एकादशी के नारायण स्तोत्र का पाठ करने से बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान हो जाता है. इससे शत्रुओं का विनाश होता है, आत्मविश्वास में वृद्धि होती है.


नारायण स्तोत्र पाठ


नारायण नारायण जय गोविंद हरे ॥


नारायण नारायण जय गोपाल हरे ॥


करुणापारावारा वरुणालयगम्भीरा ॥


घननीरदसंकाशा कृतकलिकल्मषनाशा ॥


यमुनातीरविहारा धृतकौस्तुभमणिहारा ॥


पीताम्बरपरिधाना सुरकल्याणनिधाना ॥


मंजुलगुंजाभूषा मायामानुषवेषा ॥


राधाऽधरमधुरसिका रजनीकरकुलतिलका ॥


मुरलीगानविनोदा वेदस्तुतभूपादा ॥


बर्हिनिवर्हापीडा नटनाटकफणिक्रीडा ॥


वारिजभूषाभरणा राजिवरुक्मिणिरमणा ॥


जलरुहदलनिभनेत्रा जगदारम्भकसूत्रा ॥


पातकरजनीसंहर करुणालय मामुद्धर ॥


अधबकक्षयकंसारे केशव कृष्ण मुरारे ॥


हाटकनिभपीताम्बर अभयं कुरु मे मावर ॥


दशरथराजकुमारा दानवमदस्रंहारा ॥


गोवर्धनगिरिरमणा गोपीमानसहरणा ॥


शरयूतीरविहारासज्जनऋषिमन्दारा ॥


विश्वामित्रमखत्रा विविधपरासुचरित्रा ॥


ध्वजवज्रांकुशपादा धरणीसुतस्रहमोदा ॥


जनकसुताप्रतिपाला जय जय संसृतिलीला ॥


दशरथवाग्घृतिभारा दण्डकवनसंचारा ॥


मुष्टिकचाणूरसंहारा मुनिमानसविहारा ॥


वालिविनिग्रहशौर्या वरसुग्रीवहितार्या ॥


मां मुरलीकर धीवर पालय पालय श्रीधर ॥


जलनिधिबन्धनधीरा रावणकण्ठविदारा ॥


ताटीमददलनाढ्या नटगुणविविधधनाढ्या ॥


गौतमपत्नीपूजन करुणाघनावलोकन ॥


स्रम्भ्रमसीताहारा साकेतपुरविहारा ॥


अचलोद्घृतिञ्चत्कर भक्तानुग्रहतत्पर ॥


नैगमगानविनोदा रक्षःसुतप्रह्लादा ॥


भारतियतिवरशंकर नामामृतमखिलान्तर ॥


।। इति श्रीमच्छंकराचार्यविरचितं नारायणस्तोत्रं सम्पूर्णम्‌ ।।


नारायण स्तोत्र पाठ की विधि



  • जया एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठ कर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं. उसके बाद साफ पीले रंग के वस्त्र धारण करें.

  • अब श्रीहरि विष्णु के सामने घी का दीपक जला कर मन में संकल्प करें.

  • फिर नारायण स्तोत्र का पाठ आरंभ करें, ध्यान रहे कि पाठ करते समय आपके मन में एकाग्रता हो.

  • इस पाठ को प्रतिदिन या हर गुरुवार के दिन भी किया जा सकता है.


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