Jaya Ekadashi 2020:  प्यार को पाने के लिए जो लोग संघर्ष कर रहे हैं उनके लिए 5 फरवरी 2020 का दिन बहुत ही विशेष है. हिंदू धर्म के पंचांग के अनुसार इस दिन एकादशी की तिथि है. जिस प्रकार से सभी प्रकार के व्रतों में एकादशी के व्रतों को श्रेष्ठ माना गया है, उसी प्रकार सभी एकादशी व्रतों में जया एकादशी को श्रेष्ठ माना गया है. इस दिन व्रत रखने से मोक्ष प्राप्त होता है. पाप योनि से मुक्ति मिलती है और प्यार करने वालों को विजय मिलती है.


जिन लोगों को प्यार में बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है. या फिर विवाद या तनाव की स्थिति बनी हुई है. लव रिलेशनशिप में किसी तरह की कोई दिक्कत आ रही है तो जया एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करने और इस तिथि पर व्रत रखने से प्यार में आने वाली दिक्कतों को दूर करने में मदद मिलेगी.


इसके साथ ही पति पत्नी के बीच संबंध मधुर नहीं है. या फिर तलाक की स्थिति बनी हुई तो भी इस एकादशी को व्रत रखने से समस्याओं को कम किया जा सकता है. जया एकादशी के दिन व्रत रखने से व्यक्ति को प्रेत योनि तक से मुक्ति मिल जाती है. यहां तक की उसके लिए स्वर्ग के दरवाजे भी खुल जाते हैं. जया एकादशी की प्रचलित कथाओं में इस दिन रखे जाने वाले व्रत की महिमा का वर्णन किया गया है.


एक कथा के अनुसार इंद्र की सभा में मर्यादा भंग करने के कारण इंद्र ने माल्यवान और पुष्पवती को स्वर्ग से निकाल दिया और पिशाच योनि में जन्म देकर पृथ्वी पर भेज दिया. ठंड के कारण एक दिन दोनों की मृत्यु हो गई, लेकिन उस दिन सिर्फ दोनों ने फलाहार ही किया था उस दिन सौभाग्य से जया एकादशी थी. इस कारण दोनों को प्रेत योनि से मुक्ति मिल गई और स्वर्ग में दोनों को पुन: स्थान दिया गया.


जया एकादशी की पूजा विधि




  • सुबह उठकर स्नान करने के बाद भगवान विष्णु का ध्यान लगाएं. इसके बाद हाथ में गंगाजल लेकर व्रत का संकल्प लें.

  • भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र के सम्मुख आसान लगाकर बैठ जाएं.

  • अब एक लोटे में गंगाजल लें और उसमें तिल, रोली और चावल के दाने मिला लें.

  • हाथ में जल लेकर अपने चारों तरफ छिड़कर शुद्धिकरण करें.

  • धूप व अगरबत्ती जलाकर एक बार फिर भगवान विष्णु का ध्यान लगाएं.

  • घी का दीप जालएं.भगवान विष्णु की आरती उतारें और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें.

  • इसके बाद श्री हरि विष्णु को तिल का भोग लगाएं और उसमें तुलसी दल का प्रयोग अवश्य करें.

  • शाम के समय भगवान विष्णु की पूजा कर फलाहार ग्रहण करें.

  • द्वादशी को सुबह दान करें, दरिद्र और गरीबों को भोजन कराए और दक्षिणा आदि दें. इसके बाद स्वयं भोजन ग्रहण कर व्रत का समापन करना चाहिए.


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