जया एकादशी पर व्रत रखने से पापों से मिलती है मुक्ति, भगवान विष्णु दूर करते हैं संकट
जया एकादशी का महत्व और व्रत के बारे में जो जान लेता और और इसे अपना लेता है उसके हर प्रकार के कष्टों को विष्णु भगवान दूर कर देते हैं. जया एकादशी के शुभ मुहूर्त और समय को ध्यान में रखकर की गई पूजा का विशेष लाभ मिलता है.
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Jaya Ekadashi 2020: जया एकादशी को सभी एकादशी में विशेष माना गया है. इस दिन व्रत और पूजा करने से कई प्रकार के संकट मिट जाते हैं. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति के पाप मिट जाते हैं और प्रेत योनि में जन्म नहीं मिलता है. जया एकादशी पर लोग दान भी करते हैं. इस दिन दान का विशेष महत्व बताया गया है. आइए जानते हैं जानते हैं जया एकादशी के बारे में -
हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत को बहुत ही विशेष माना गया है. जया एकादशी को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं. जिसमें से एक कथा के अुनसार एक दिन धर्मराज युधिष्ठिर भगवान श्री कृष्ण से निवेदन करते हुए प्रश्न करते हैं कि भगवन माघ शुक्ल एकादशी को किसकी पूजा की जानी चाहिए और इस एकादशी का क्या महत्व है. तब भगवान श्री कृष्ण कहते हैं हे धर्मराज माघ शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी कहते हैं. जो बहुत ही पुण्यदायी होती है, जो भी व्यक्ति जया एकादशी का व्रत धारण करते हैं उन्हें भूत, प्रेत और पिशाच की योनि से मुक्ति मिल जाती है.
जया एकादशी का शुभ मुहूर्त
5 फरवरी 2020: जया एकादशी 4 फरवरी 2020: रात्रि 9: 49 मिनट से जया एकादशी का आरंभ 5 फरवरी 2020: रात्रि 9:30 मिनट पर जया एकादशी का समापन 6 फरवरी 2020: प्रात:7:7 मिनट से 9: 18 मिनट तक पारण का समय
मोक्षदायी है जया एकादशी
जया एकादशी पर विधि विधान से व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति के संकट दूर होते हैं उसे बुरी योनि से छुटकारा मिलता है और स्वर्ग में स्थान प्रदान किया जाता है. इस व्रत को जो करते हैं उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है.
पूजा की विधि
स्नान करने के बाद पूजा घर में भगवान विष्णु के सामने आसन लगा कर बैठें और ध्यान लगाएं. व्रत का संकल्प लेने के बाद, पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें. धूप जलाएं. भगवान को फल, मिष्ठान और पुष्प अर्पित करने के बाद जल ग्रहण कराएं. इसके बाद दीपक जलाकर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें. शाम के समय भगवान की आरती करने के बाद ही फलाहार का सेवन करें. द्वादशी को सुबह अन्न, तिल, वस्त्र का दान करें. इसके बाद स्वयं भी अन्न ग्रहण करें.
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