Jaya Ekadashi 2022: माघ माह (Magh Month) के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी (Jaya Ekadashi 2022) के नाम से जाना जाता है. एकादशी का दिन भगवान विष्णु (Lord Vihsnu) को समर्पित होता है. इस दिन विधि-विधान के साथ भगवान विष्णु (Lord Vishnu) और मां लक्ष्मी की पूजा (Maa Lakshmi Puja) की जाती है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से अश्वमेघ यज्ञ के समतुल्य फल की प्राप्ति होती है. और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

  


धार्मिक मान्यता है कि सभी व्रतों में एकादशी का व्रत (Ekadashi Vrat) सबसे कठिन व्रतों में से एक होता है. इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को मृत्यु के उपरांत बैकुंठ की प्राप्ति होती है. इस दिन नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है. इस दिन लक्ष्मी-नारायण (Lakshmi Narayan) की कृपा पाने के लिए एकादशी के दिन ये उपाय (Ekadashi Upay) अवश्य करें. 


जया एकादशी के दिन करें ये उपाय  (Jaya Ekadashi Upay)


- धार्मिक मान्यता है कि एकादशी के दिन तुलसी का पौधा लगाना शुभ होता है. लेकिन अगर इसे सही दिशा में रखेंगे तो ही इसका लाभ होगा. कहते हैं मोक्षदा एकादशी के दिन तुलसी का पौधा लगाना विशेष फलदायी होता है. 


- इस दिन गेंदे का फूल का पौदा लगाना भी लाभदायी होता है. घर के उत्तर दिशा में ही इस पौधे को लगाएं. 


- धार्मिक ग्रंथों के अनुसार आंवले के पौधे में भगवान विष्णु जी का वास होता है. अतः जया एकादशी के दिन घर पर आंवले का पौधा लगाना शुभ माना जाता है. 


- शास्त्रों के अनुसार एकादशी के दिन अपने सामर्थ्य अनुसार गरीबों और जरूरतमंदों को दान अवश्य दें.


- ज्योतिषियों के अनुसार एकादशी के दिन घर में या घर की छत पर पीले रंग का ध्वज अवश्य लगाएं. 


- एकादशी के दिन मखाने की खीर बनाकर उसमें तुलसी दल डालकर श्री हरि को भोग लगाएं. 


- जया एकादशी के दिन गरीबों को पीले रंग का वस्त्र, अन्न और पीले रंग की आवश्यक वस्तुएं भेंट करें।


एकादशी की आरती (Ekadashi Aarti In Hindi)


ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता ।


विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।। ॐ।।


तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।


गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ॐ।।


मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।


शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ॐ।।


पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है,


शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।। ॐ ।।


नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।


शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।। ॐ ।।


विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,


पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।। ॐ ।।


चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,


नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।। ॐ ।।


शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,


नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। ॐ ।।


योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।


देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।। ॐ ।।


कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।


श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।। ॐ ।।


अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।


इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। ॐ ।।


पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।


रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।। ॐ ।।


देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।


पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।। ॐ ।।


परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।।


शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी ।। ॐ ।।


जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।


जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।। ॐ ।।



Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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