Jaya Ekadashi 2022: एकादशी के व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. हर माह में दो एकादशी के व्रत (Ekadashi Vrat 2022) पड़ते हैं और सालभर आने वाली एकादशी का अलग-अलग महत्व होता है. माघ माह (Magh Month) के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी (Jaya Ekadashi 2022) के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना (Lord Vishnu Puja) की जाती है. इस दिन पूजा-पाठ आदि से व्यक्ति के जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं. इस दिन श्री हरि के साथ मां लक्ष्मी की पूजा (Maa Lakshmi) का भी विधान है. 


इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत आदि से धन लाभ होता है. साथ ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी जी की आरती  करना विशेष फलदायी है.  


मां लक्ष्मी की आरती (Lakshmi Mata Aarti)


ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुम को निश दिन सेवत, हर विष्णु विधाता....


ॐ जय लक्ष्मी माता...।।


उमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जग माता
सूर्य चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता


ॐ जय लक्ष्मी माता...।।


दुर्गा रूप निरंजनि, सुख सम्पति दाता
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धि धन पाता


ॐ जय लक्ष्मी माता...।।


तुम पाताल निवासिनी, तुम ही शुभ दाता
कर्म प्रभाव प्रकाशिनी, भव निधि की त्राता


ॐ जय लक्ष्मी माता...।।


जिस घर तुम रहती सब सद्गुण आता
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता


ॐ जय लक्ष्मी माता...।।


तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता


ॐ जय लक्ष्मी माता...।।


शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता


ॐ जय लक्ष्मी माता...।।


महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई नर गाता
उर आनंद समाता, पाप उतर जाता


ॐ जय लक्ष्मी माता...।।


भगवान विष्णु की आरती (Vishnu Ji ki Aarti)


ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥


जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय...


मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय...


तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय...


तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय...


तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय...


दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।


अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय...


विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय...


तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय...


जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय...


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