Jaya Parvati Vrat Katha: जयापार्वती व्रत अषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष से शुरू होता है, जो कृष्ण पक्ष की तृतीया के दिन समाप्त होता है. यह कठिन व्रत 5 दिनों का होता है. इस बार यह व्रत 12 जुलाई मंगलवार को शुरू होगा एवं 17 जुलाई, दिन मंगलवार को समाप्त होगा. इस व्रत में माता पार्वती व शिव की पूजा की जाती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार व्रत करने से स्त्रियों को अखंड सौभाग्यवती व पुत्र रत्न की प्राप्ति का वरदान प्राप्त होता है. आइए जानें क्या है जया पार्वती व्रत की कथा.


जया पार्वती व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार किसी समय कौडिन्य नगर में वामन नाम का एक योग्य ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी का नाम सत्या था।दोनों ही बहुत धार्मिक, संस्कारी थे. इनके पास सब कुछ था, बस कमी थी तो एक बच्चे की. ब्राह्मण जोड़ा शिव से लगातार बच्चे के लिए प्रार्थना करते रहते थे. शिव इनकी भक्ति से खुश हुए और एक दिन इन्हें दर्शन देकर कहा कि पास के जंगल में मेरी एक मूर्ति है, जिसकी कोई पूजा नहीं करता, तुम वहां जाओ और पूजा अर्चना करो. उनकी पूजा करने से तुम्हारी मनोकामना अवश्य ही पूरी होगी. वो ब्राह्मण उस जंगल में गया, उसे शिव के बताए अनुसार उसे मूर्ति मिली. वह उसे साफ करने व सजाने के लिए पानी व फूल की तलाश में जब निकला तो रास्ते में उसे सांप ने काट लिया, जिससे ब्राह्मण वहीं बेहोश हो गया.


बहुत समय हो जाने पर ब्राह्मण जब घर नहीं पहुंचा तो उसकी पत्नी चिंतित होने लगी. वह उसकी तलाश में जंगल तक गई. पति को इस हालत में देख वह रोने लगी और वन देवता व माता पार्वती को स्मरण किया. ब्राह्मणी की पुकार सुनकर वन देवता और मां पार्वती चली आईं और ब्राह्मण के मुख में अमृत डाल दिया, जिससे ब्राह्मण उठ बैठा. तब ब्राह्मण दंपति ने माता पार्वती का पूजन किया. माता पार्वती ने उनकी पूजा से प्रसन्न होकर उन्हें वर मांगने के लिए कहा. तब दोनों ने संतान प्राप्ति की इच्छा व्यक्त की, तब माता पार्वती ने उन्हें विजया पार्वती व्रत करने की बात कही.


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