Jitiya Vrat 2024: वो मां है जनाब कहां मानती है...कई माताओं ने संतान की लंबी उम्र के लिए वृद्धाश्रम में रखा जितिया व्रत
Jitiya Vrat 2024: जितिया व्रत मातृत्व प्रेम का प्रतीक है. इसे कठिन व्रतों में एक माना जाता है. माताएं (Maa) अपनी संतान की लंबी आयु और स्वस्थ्य जीवन की कामना के लिए जीवित्पुत्रिता का व्रत करती हैं.
Jitiya Vrat 2024: देशभर में जितिया का पर्व मनाया जा रहा है. 25 सितंबर 2024 को माताओं ने अपनी संतान की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत (Nirjala Vrat) रखा है, जोकि बहुत ही कठिन व्रत होता है.
पूरे दिन व्रत रखने के बाद 26 सितंबर 2024 को व्रत का पारण (Jitiya Vrat Paran) किया जाएगा. जितिया का निर्जला व्रत रखकर माएं अपनी संतान के स्वस्थ जीवन, सफलता और लंबी उम्र की कामना करती हैं.
- किसी ने मां के बारे में खूब लिखा है कि, दवा असर न करे तो नजर उतारती है, मां है जनाब वो हार कहां मानती है.
- इसलिए मां के बारे में कहा जाता है कि, इसकी ख़िदमत इबादतों में इक इबादत है यही नमाज़-ए-ख़ुदा है और शिव की आरती है.
- असलम कोलसरी लिखते हैं- शहर में आकर पढ़ने वाले भूल गए किस की मां ने कितना जेवर बेचा था.
'मातृ देवो भवः'
शास्त्रों (Shastra) में मां को ईश्वर से भी ऊंचा स्थान प्राप्त है. ऐसा कहा जाता है कि, भगवान आपके साथ हर समय नहीं रह सकते, इसलिए उन्होंने मां को बनाया. लेकिन फिर भी लोग ईश्वर समान मां का सम्मान नहीं करते और उन्हें वृद्धाश्रम में छोड़ देते हैं.
जिन हाथों से मां पहली बार अपनी संतान को गोद में उठाती है, वही हाथ जब वृद्धावस्था में कांपने लगते हैं तो बच्चों के लिए बोझ बन जाती है. जिस मां की आंचल बच्चे के लिए दुनिया की सबसे सुरक्षित जगह होती है और इस आंलच की आड़ से दुनिया रंगीन नजर आती है.
वही आंचल बाद में उन्हें मैली लगने लगती है. साड़ी के जिस एक कोने में मां जो सिक्के रखा करती थीं, वह बच्चों के लिए बैंक बैलेंस से कम नहीं होता था. लेकिन जब वह लाखों में कमाने लगते हैं तो मां ही बोझ लगने लगती है.
वृद्धाश्रम में भी माएं संतान के रखती हैं जितिया व्रत
जितिया पर्व के मौके पर यह बातें इसलिए भी याद करना जरूरी है क्योंकि आज दुनियाभर की कई माताओं ने संतान के लिए व्रत रखा है. कुछ माएं ऐसी भी हैं, जिन्होंने उन संतानों के लिए व्रत रखा जिन्होंने उन्हें वृद्धाश्रम पहुंचा दिया. देश के कई वृद्धाश्रम में रहनी वाली माताओं ने उन बेटों के लिए भी व्रत रखा और उसकी लंबी उम्र और तरक्की के लिए भगवान से प्रार्थना की, जो कभी उन्हें यहां अकेला छोड़ गया था.
जितिया व्रत और मदर्स डे जैसे मौके पर हमारी नजरों से ऐसी एक नहीं कई खबरें होकर गुजरती हैं, जिसे देखकर और पढ़कर हम अनदेखा कर देते हैं. चाहे संतान जितना भी तिरस्कार कर दें, ये माताएं हर साल इसी तरह व्रत रखेंगी और संतान की लंबी आयु की कामना करेंगी. क्योंकि वो मां है जनाब कहां मानती है....
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