Sun Astrological: जॉब (Job) या नौकरी में सफलता या असफलता के पीछे सूर्य (Sun) की भूमिका अहम मानी गई है. ज्योतिष ग्रंथों में सूर्य ग्रह की महिमा के बारे में विस्तार से बताया गया है. सूर्य जहां प्रमोशन और ट्रांसफर के कारक माने गए हैं वहीं इसका संबंध पिता और बॉस से भी है. सूर्य के कमजोर होने पर जॉब प्रभावित होती है, ऑफिस में बॉस लेबल पर हर दिन कोई न कोई अड़चन या परेशानी आती ही रहती है.
कुंडली में बैठा सूर्य कमजोर है और खराब फल दे रहा है तो इसका पता आसानी से लगाया जा सकता है, अगर आप इन पर ध्यान देते हैं और समय रहते उपाय करने सफल रहते हैं तो नौकरी या जॉब में आनी वाली दिक्कतों के दूर कर सकते हैं.
कुंडली में सूर्य की स्थिति (Surya In Kundli)
कुंडली में सूर्य कमचोर होना अच्छा नहीं माना गया है. क्योंकि इसका संबंध आत्मा और हृदय से भी माना गया है. सभी जानते हैं कि किसी भी कार्य को करने के लिए आत्मबल या आत्मविश्वास होना अतिआवश्यक है. यदि आत्मविश्वास में कमी होगी तो कार्य में सफलता पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है.
इसके साथ ही सूर्य को ज्योतिष में राजा माना गया है. सभी ग्रहों का राजा सूर्य ही है. इसके साथ ही सूर्य का संबंध परिवर्तन और शासन-सत्ता का भी कारक माना गया है. पिता और बॉस को भी कुछ ज्योतिष विद्वानों ने सूर्य का कारक माना है. प्रमोशन या ट्रांसफर में दिक्कत आती है और ऑफिस में भी बॉस का साथ नहीं मिलता है तो समझ लेना चाहिए कि कुंडली में सूर्य की स्थिति कहीं न कहीं कमजोर है. इसलिए समय रहते इसका उपाय कर लेना चाहिए. कई बार जब ऑफिस में बॉस की बार-बार डांट पड़े तो भी सूर्य का उपाय करना चाहिए.
इन बातों का भी रखें ध्यान (Surya Puja Niyam)
रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित है. सूर्य को इस दिन सुबह उठकर अर्ध्य देना चाहिए. इसके साथ ही पिता की आज्ञा का पालन करना चाहिए. सूर्य एक अनुशासन प्रिय ग्रह है. इसलिए ऑफिस के नियमों का पालन करना चाहिए, बॉस की आलोचना नहीं करनी चाहिए. गुड और घी का दान कर सकते हैं. हर माह पड़ने वाली संक्रांति को दान आदि का कार्य करना चाहिए. क्रोध और दूसरों की बुराई करने से बचना चाहिए.यदि इन उपायों का अपनाते हैं तो सूर्य की अशुभता में काफी हद तक कमी आती है.
सूर्य कवच श्रणुष्व मुनिशार्दूल सूर्यस्य कवचं शुभम्। शरीरारोग्दं दिव्यं सव सौभाग्य दायकम्।। देदीप्यमान मुकुटं स्फुरन्मकर कुण्डलम। ध्यात्वा सहस्त्रं किरणं स्तोत्र मेततु दीरयेत्।। शिरों में भास्कर: पातु ललाट मेडमित दुति:। नेत्रे दिनमणि: पातु श्रवणे वासरेश्वर:।। ध्राणं धर्मं धृणि: पातु वदनं वेद वाहन:। जिव्हां में मानद: पातु कण्ठं में सुर वन्दित:।। सूर्य रक्षात्मकं स्तोत्रं लिखित्वा भूर्ज पत्रके। दधाति य: करे तस्य वशगा: सर्व सिद्धय:।। सुस्नातो यो जपेत् सम्यग्योधिते स्वस्थ: मानस:। सरोग मुक्तो दीर्घायु सुखं पुष्टिं च विदंति।। |
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