देवगुरु बृहस्पति कराते हैं 16 साल में भाग्योदय, शनिदेव 36 की उम्र से देते हैं फल
Astrology: ज्योतिष शास्त्र में प्रत्येक ग्रह की भाग्योदय कराने की उम्र का वर्णन मिलता है. सबसे जल्दी भाग्यफल देवगुरु बृहस्पति प्रदान करते हैं. गुरु 16 वर्षं में भाग्य की कृपा बरसाने लगते हैं.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार व्यक्ति का भाग्योदय कब होगा? यह प्रश्न अक्सर पूछा जाता है. ग्रह फल के अनुसार बृहस्पति सबसे जल्दी किस्मत का कनेक्शन बनाते हैं. देवगुरु बृहस्पति 16 से 22 वर्ष की उम्र तक कुंडली में अच्छे होने पर फल देने लग जाते हैं. उच्च का योगकारक गुरु व्यक्ति का नवयुवा अवस्था में ही भाग्योदय करा देता है. ऐसे लोग समाज में बड़ा नाम और दाम कमाते हैं. दांपत्य जीवन की शुरुआत भी ऐसे लोगों की जल्द हो जाती है यानी शादी जल्दी हो जाती है.
न्याय के देवता शनिदेव पूर्ण अनुभव प्राप्त होने पर भाग्योदय का मार्ग प्रशस्त करते हैं. शनिदेव 36 से 42 वर्ष की उम्र में भाग्य उदित करते हैं. शनिदेव की प्रबलता और शुभता रखने वाले लोग 36 वर्ष की उम्र के बाद सफलता की सीढ़ियां तेजी से चढ़ते हैं. महत्वपूर्ण बात यह है कि शनिदेव की कृपा से बनी भाग्यकारक स्थिति ताउम्र बनी रहती है. कई बार तो व्यक्ति के कार्याें की छाप उसके बाद भी बनी रहती है.
शनिदेव के बाद सबसे देरी भाग्योदय देने वाले ग्रह राहु और केतु हैं. राहु 42 के बाद भाग्य की राह बनाते हैं. केतु राहु से भी देरी से भाग्योदय करते हैं. केतु 48 से 54 वर्ष की उम्र में भाग्यफल देते हैं. गुरु के बाद सबसे जल्दी फल सूर्यदेव देते हैं. सूर्यदेव 22 से 24 वर्ष के बीच भाग्योदय करते हैं.
चंद्रमा 24 से 25 वर्ष के बीच भाग्योदय कराते हैं. शुक्रदेव 25 से 28 के बीच भाग्य को प्रशस्त करते हैं. 28 से 32 वर्ष के मध्य मंगल भाग्यकारक होते हैं. बुधदेव 32 से 36 वर्ष की उम्र में भाग्योदय कराते हैं. जिस जातक की कुंडली में जो ग्रह बलवान और योगकारक होता है उससे संबंधित वर्षाें में व्यक्ति अच्छी उन्नति करता है.