854 साल बाद मकर राशि में इन ग्रहों की युति से बना है त्रिग्रही योग, जानें शुभ-अशुभ फल
मकर राशि में गुरु और शनि इस समय मकर राशि में गोचर कर रहे हैं. गुरु और शनि को ज्योतिष शास्त्र में विशाल ग्रह माना गया है. मकर राशि में गुरु और शनि की युति अपने आप में एक महासंयोग का निर्माण करती है. जहां मंगल पहले से ही विराजमान हैं. आइए जानते हैं गुरु और शनि ग्रह के स्वभाव के बारें.
![854 साल बाद मकर राशि में इन ग्रहों की युति से बना है त्रिग्रही योग, जानें शुभ-अशुभ फल Jupiter Saturn Yuti In 2020 After 854 years Mangal Guru And Shani Grah Makar Rashi Horoscope Rashi Privartan janam Kundli 854 साल बाद मकर राशि में इन ग्रहों की युति से बना है त्रिग्रही योग, जानें शुभ-अशुभ फल](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2020/03/02024032/makar.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Jupiter Saturn Yuti: गुरु का मकर राशि में प्रवेश 29 मार्च 2020 को हुआ था. जहां पर शनि पहले से ही 24 जनवरी 2020 से विराजमान थे. इस समय दोनों ग्रह एक साथ मकर राशि में गोचर कर रहे हैं. इन दोनों ही ग्रहों की चाल बहुत ही धीमी है. शनि ढाई साल में राशि बदलते हैं तो वहीं गुरु 12 से 13 महीने के अंतराल में एक राशि को छोड़कर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं.
मंगल भी है विराजमान मकर राशि में मंगल भी पहले से ही विराजमान है. 29 मार्च के बाद गुरु के आ जाने से त्रिग्रही योग का निर्माण कर रहे हैं. यानि मकर राशि में मंगल, शनि और गुरु की युति बनी हुई है. चैत्र नवरात्रि में गुरु के मकर राशि में प्रवेश का संयोग बना था जो 178 साल बाद पुन: बना है. मकर राशि में पहले से मंगल और शनि स्थित हैं. मकर राशि में इन तीन ग्रहों की युति का संयोग 854 साल बाद बना है.
गुरु 30 जून को करेंगे अपना राशि परिर्वतन गुरु 30 जून को मकर राशि से निकलकर धनु राशि में प्रवेश करेंगे. इस दिन से गुरु अपनी वक्री अवस्था में आ जाएगें.
मंगल, शनि और गुरु का स्वभाव
मंगल ग्रह: मंगल ग्रह मेष राशि और वृश्चिक राशि का स्वामी कहलाता है. मकर राशि मंगल की उच्च राशि है जबकि कर्क इसकी नीच राशि है. सूर्य, चंद्र और गुरु इसकी मित्रता है. बुध से मंगल की शत्रुता है. वहीं शुक्र और शनि ग्रह सम हैं.
गुरु ग्रह: गुरु को धनु और मीन राशि का स्वामी माना गया है. इस ग्रह को पवित्र और सात्विक कहा जाता है. जो लोग इसके प्रभाव में होते हैं उनके भीतर भी सदगुण मौजूद होते हैं. गुरु कुंडली के दूसरे, पांचवें, नौंवे, दसवें और ग्यारहवें भाव का कारक होता है. साल के 12 महीनों में करीब 4 महीने यह वक्री रहता है. बुध और शुक्र ग्रह, गुरु के शत्रु ग्रह हैं. इसके विपरीत सूर्य, चंद्र और शनि के साथ इसकी दृष्टि शुभ मानी गई है. मंगल से इसकी मित्रता है.
शनि ग्रह: यह एक न्याय प्रिय ग्रह है. शनि की गति सबसे धीमी है. यह एक राशि पर करीबन दो वर्ष छ: माह रहता है. बारह राशि की परिक्रमा 29 वर्ष, 5 मास, 17 दिवस 12 घंटों में पूर्ण करता है. शनि 140 दिन वक्री रहता है और मार्गी होते समय 5 दिन स्तंभित रहता है.
शुभ फल: मकर राशि में तीन ग्रहों की स्थिति सिंह, कन्या,तुला,वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन राशि के लिए लाभकारी है.
अशुभ फल: इस युति का मेष, वृष, मिथुन, कर्क और मीन को अच्छे फल प्राप्त नहीं होगें. इसलिए तीनों ग्रहों से संबंधित पूजा और दान आदि के कार्य करते रहें.
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