Jyeshtha Amavasya 2024: ज्येष्ठ अमावस्या 2024 में कब ? जान लें डेट, स्नान-दान मुहूर्त, धार्मिक महत्व
Jyeshtha Amavasya 2024: ज्येष्ठ अमावस्या न सिर्फ पितरों बल्कि शनि देव को भी समर्पित है. इस दिन पूजा, स्नान, दान, श्राद्ध करने वालों को अनेक लाभ मिलते हैं. जानें ज्येष्ठ अमावस्या 2024 में कब है.
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Jyeshtha Amavasya 2024: अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित है. सालभर में 12 अमावस्या आती है, सभी का अपना महत्व है लेकिन ज्येष्ठ अमावस्या सबसे खास मानी जाती है. ज्येष्ठ अमावस्या पर शनि जयंती (Shani Jayanti) और वट सावित्री व्रत (Vat Savitri vrat) भी रखा जाता है.
ऐसे में इस एक दिन में शनि देव, पितर और शिव-पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त करने का संयोग बनता है. इस साल ज्येष्ठ अमावस्या 2024 की डेट, स्नान-दान मुहूर्त, महत्व सब यहां जानें.
ज्येष्ठ अमावस्या 2024 डेट (Jyeshtha amavasya 2024 Date)
ज्येष्ठ अमावस्या 6 जून 2024 को है. अमावस्या पर स्नान, पितरों का श्राद्ध और दान करने से पूर्वज प्रसन्न रहते है, वंशज को जीवन में परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता. मां लक्ष्मी का आशीष मिलता है.
ज्येष्ठ अमावस्या 2024 मुहूर्त (Jyeshtha Amavasya 2024 Muhurat)
पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या 5 जून 2024 को रात 07 बजकर 54 मिनट से शुरू होकर 6 जून 2024 को शाम 06 बजकर 07 मिनट तक रहेगी.
- स्नान-दान मुहूर्त - सुबह 04.02 - सुबह 07.07
- पितृ पूजन - सुबह 11.30 - दोपहर 02.04 (पितरों की पूजा दोपहर में की जाती है)
- शनि देव पूजा - शाम 06.00 - रात 09.49 (शनि देव की पूजा सूर्यास्त के बाद श्रेष्ठ मानी गई है)
ज्येष्ठ अमावस्या क्यों खास है (Jyeshtha amavasya significance)
धर्म ग्रंथों में ज्येष्ठ अमावस्या को शनि देव की जन्म तिथि कहा गया है. शनि देव को प्रसन्न करने के लिए ज्येष्ठ अमावस्या खास मानी जाती है. जिन लोगों की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या चल रही है वे इस दिन शनि देव (Shani dev) का तेल से अभिषेक कर काली चीजों जैसे काले तिल, काले रंग के वस्त्र, जूते, चप्पल, काला छाता, काले चने, सरसों का तेल आदि का दान करें. इससे शनि के दुष्प्रभाव कम होते हैं.
सुहाग पर्व है ज्येष्ठ अमावस्या का दिन
ज्येष्ठ अमावस्या का दिन सुहागिनों के लिए भी बहुत खास है. इस दिन माता सावित्री (Savitri) अपने पति सत्यवान (Satyawan) के प्राण को यमराज से वापस ले आई थीं, तभी से ज्येष्ठ अमावस्या पर शिव-पार्वती, बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है. बरगद में त्रिदेव का वास माना गया है, इनकी उपासना से अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है. पति की आयु लंबी होती है.
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