Apara Ekadashi 2024: ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम अपरा है, क्योंकि यह अपार धन और पुण्यों को देने वाली तथा समस्त पापों का नाश करने वाली है. इस साल अपरा एकादशी 2 जून 2024 को है.


ये व्रत जान-अनजाने में किए 10 महापापों से मुक्त करता है, इसके प्रभाव से व्यक्ति को नरक का मुंह नहीं देखना पड़ता. साथ ही पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. आइए जानते हैं अपरा एकादशी का महत्व और कथा.


अपरा एकादशी का महत्व


पुराणों के अनुसार दूसरों की निंदा करने वालों को नरक प्राप्त होता है लेकिन इस व्रत के प्रताप से ऐसे लोगों का स्वर्ग जाना संभव होता है. गौ, भूमि या स्वर्ण के दान का फल भी इस एकादशी व्रत के समान फल देता है. तीनों पुष्करों में या कार्तिक माह में स्नान करने से  जो फल मिलता है वो इस एक एकादशी का व्रत करने से प्राप्त हो जाता है. जो मनुष्य इसका व्रत करते हैं,  उनकी लोक में प्रसिद्धि होती है, अपार धन मिलता है.


अपरा एकादशी व्रत कथा


पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में महीध्वज नाम का एक धर्मात्मा राजा राज्य करता था. उसका छोटा भाई वज्रध्वज क्रूर, अधर्मी और अन्यायी था. वह बड़े भाई से द्वेष रखता था. एक दिन उसने बड़े भाई की हत्या कर दी और उसकी देह एक जंगल में पीपल के पेड़ के नीचे गाड़ दिया. अकाल मृत्यु के कारण राजा प्रेत बन गया और उसी पीपल के पेड़ पर रहकर उत्पात करने लगा.


ऐसे मिली राजा को मुक्ति


एक दिन धौम्य ऋषि वहां से गुजरे, उन्होंने पेड़ पर प्रेत देखा और तप के बल से प्रेत के बारे में सब जान लिया, साथ ही उसके उत्पात का कारण भी समझा. इसके बाद ऋषि ने उसे पीपल के पेड़ से उतारा और परलोक विद्या का उपदेश दिया.


इसके अलावा ऋषि ने स्वयं ही राजा की प्रेत योनि से मुक्ति के लिए अपरा (अचला) एकादशी का व्रत किया. उसके प्रताप से वह राजा प्रेत योनि से मुक्त हो गया और ऋषि को आभार व्यक्त कर दिव्य देह धारण कर पुष्पक विमान से स्वर्ग चला गया.


Shani Jayanti 2024: शनि की साढ़ेसाती- ढैय्या से परेशान लोगों के लिए जून का ये 1 दिन है बहुत खास, शनि देव को ऐसे करें प्रसन्न


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.