Jyeshtha Month 2024: 24 मई से ज्येष्ठ माह शुरू, हनुमान जी-शनि देव का रहेगा प्रभाव, जानें क्या करें, क्या नहीं
Jyeshtha Month 2024: ज्येष्ठ का महीना पुण्य कमाने के लिए बहुत खास माना गया है लेकिन इस महीने में कुछ खास बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए, नहीं तो सेहत के साथ आर्थिक स्थिति पर बुरा असर पड़ता है.
Jyeshtha Month 2024: ज्येष्ठ के महीने में सूर्य (Surya) सबसे ताकतवर होते हैं, इसलिए तेज गर्मी (Heat Waves) पड़ती है. धरती पर सूर्य की तीखी किरणें पड़ने से जीव-जंतु, मनुष्य, प्रकति सभी के लिए ज्येष्ठ का महीना बहुत कष्टकारी होता है. इस माह में नौतपा (Nautapa) के चलते तेज गर्म हवाएं चलती हैं, जो सेहत के लिए हानिकारक हो सकती है.
शास्त्रों में जेठ यानी ज्येष्ठ महीने में पूजा, दान, तीर्थ दर्शन का विशेष महत्व बताया गया है. ज्येष्ठ महीने के दौरान नियम और संयम से रहने पर उम्र बढ़ती है और बीमारियां भी दूर होती है. इसलिए ज्येष्ठ में कुछ खास बातों का जरुर ध्यान रखें, जानें क्या करें, क्या न करें.
ज्येष्ठ माह 2024 (Jyeshtha Month 2024 Date)
- ज्येष्ठ का महीना - 24 मई 2024 से 23 जून 2024 तक रहेगा.
ज्येष्ठ माह में क्या करें और क्या न करें (Jyeshtha Month Dos and Donts)
1- इन 6 देवताओं की पूजा
- भगवान त्रिविक्रम - शास्त्रों के अनुसार ज्येष्ठ महीने की दोनों पक्ष की द्वादशी तिथि को दिन-रात उपवास करके भगवान त्रिविक्रम (विष्णु जी का स्वरूप) की पूजा करना चाहिए, इससे गोमेध यज्ञ का फल मिलता है.
- सूरज-शनि देवता - ज्येष्ठ माह में सूर्योदय से पूर्व उठकर सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए, इससे उम्र लंबी होती है. रोगों का नाश होता है. इस माह में शनि जयंती (Shani Jayanti) के दिन शनि देव की पूजा से साढ़ेसाती (Sade sati) और ढैय्या के अशुभ प्रभाव खत्म होते हैं.
- हनुमान जी - ज्येष्ठ में हनुमान जी पहली बार श्रीराम से मिले थे, इसलिए इस माह के हर मंगलवार (बड़ा मंगल) के दिन हनुमान जी की खास पूजा करें.
- कृष्ण - ज्येष्ठ महीने में गंगा, यमुना नदी में स्नान कर भगवान कृष्ण की पूजा और तिल का दान करने से अश्वमेध-यज्ञ का पूरा फल मिलता है. इस महीने की पूर्णिमा पर भी लक्ष्मी जी, सत्यनारायण की उपासन कर नारद पुराण (Narad purana) सुनने से जन्मों के पाप खत्म हो जाते हैं.
- वरुण देव - ज्येष्ठ माह में जल स्तर कम हो जाता है, जल संरक्षण करें. जल का दान, गंगा दशहरा(Ganga Dusshera) और निर्जला एकादशी(Nirjala ekadashi) पर खासतौर से जल के देवता वरुण देव की पूजा करें.
2- क्या खाएं, क्या नहीं - ज्येष्ठ माह में शरीर में जल स्तर गिरने लगता है. ऐसे में सेहत को अच्छा रखने के लिए हरी सब्जियां, सत्तू, जल वाले फलों का अधिक प्रयोग करें. एक समय खाना खाएं, बैंगन, लहसुन, राईं, गर्मी करने वाली सब्जियां-फल न खाएं.
3- जल से जुड़े काम - ज्येष्ठ की तपती धूप में पेड़ पौधे सूख जाते हैं. इनके बचाव के लिए रोजाना पेड़ों में पानी दें. राहगीरों को जल पिलाएं, पशु-पक्षियों के लिए जल की व्यवस्था करें. तीर्थ स्थल पर नदी स्नान करें.
4- इन चीजों का दान - तिल, जल, मिट्टी का मटका, जूते, पंखा, चप्पल, खीरा, सत्तू, अन्न, छाता का दान (Jyeshtha daan) करना चाहिए. मंदिर या सामाजिक स्थल पर लोगों के कालीन लगवाएं, ताकि उनके पैर न जलें.
5- ये एक काम बनाएगा धनवान - महाभारत के अनुशासन पर्व के अनुसार ज्येष्ठ माह में एक समय भोजन का महत्व बताया है. ज्येष्ठामूलं तु यो मासमेकभक्तेन संक्षिपेत्। ऐश्वर्यमतुलं श्रेष्ठं पुमान्स्त्री वा प्रपद्यते।। अर्थात - जो कोई भी व्यक्ति ज्येष्ठ माह में सिर्फ एक समय भोजन करता है वह धनवान और निरोगी बनता है, क्योंकि अच्छा स्वास्थ ही सबसे बड़ा धन माना गया है.
6- भूलकर भी न करें ये काम - ज्येष्ठ माह में अपने बड़े पुत्र या पुत्री का विवाह नहीं करना चाहिए, इसे शुभ नहीं माना गया है. साथ ही तला, गरिष्ठ, तामसिक भोजन न करें, स्वास्थ बिगड़ सकता है. पशु-पक्षियों को न सताएं.
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