Janam Kundli: ज्योतिष में गुरु को एक शुभ ग्रह माना गया है. ये आमतौर पर ये अशुभ फल कम ही प्रदान करते हैं. लेकिन जब अशुभ फल प्रदान करते हैं तो व्यक्ति को बहुत मुसीबतों का सामना करना पड़ता है.


गुरु को ज्ञान का कारक ग्रह माना गया है. गुरु देवतओं के भी आचार्य हैं इसीलिए इन्हें देव गुरु भी कहा जाता है. जन्मकुंडली में गुरु किस अवस्था में हैं इसका पता लगाया जा सकता है. जब ये लक्षण दिखाई देने लगें तो समझ लेना चाहिए कि गुरु नाराज हैं.


अशुभ गुरु के लक्षण


पेट संबंधी रोग: गुरु अशुभ होने से व्यक्ति को पेट के रोग प्रदान करते हैं. व्यक्ति को जब कोई पेट संबंधी दिक्कत हो तो समझ लेना चाहिए कि गुरु ठीक नहीं हैं. इसलिए गुरु का तुरंत उपाय करना चाहिए. देरी करने पर ये पेट के गंभीर रोग भी दे सकते हैं.


मान सम्मान में कमी: गुरु को पद प्रतिष्ठा से भी जोड़कर देखा जाता है. गुरु जब शुभ होते हैं तो व्यक्ति को पुरस्कार, मान सम्मान दिलाते हैं. लेकिन जब इसमें कमी महसूस होने लगे तो समझ लेना चाहिए गुरु अशुभ फल दे रहे हैं.


उच्च पद प्राप्त करने में बाधा: जब उच्च पद प्राप्त करने में बाधा आने लगे तो समझ जाना चाहिए कि गुरु शुभ नहीं है. इस तरह की दिक्कत आने पर गुरु का उपाय करना चाहिए.


गुरु के उपाय




  • नाभि पर केसर का तिलक लगाने से गुरु प्रसन्न होते हैं और अशुभ फल प्रदान करना बंद कर देते हैं.

  • किसी जरुरतमंद को पीले वस्त्रों का दान करेंं.

  • गुरु को शुभ बनाने के लिए भगवान ब्रह्मा की उपासना करनी चाहिए. इससे भी गुरु की अशुभता दूर होती है.

  • अपने गुरु का सम्मान करें.


गुरु को प्रसन्न करने के मंत्र


 ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:


ॐ ऐं श्रीं बृहस्पतये नम:।


ॐ गुं गुरवे नम:।


ॐ बृं बृहस्पतये नम:।


ॐ क्लीं बृहस्पतये नम:।


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