Kaal Bhairav Jayanti 2024: कार्तिक पूर्णिमा पर देव दिवाली मनाई जाती है. ये हिंदू का खास त्योहार है. कार्तिक पूर्णिमा के बाद मार्गशीर्ष का महीना शुरू हो जाता है. इसमें श्रीकृष्ण की उपासना जरुर करनी चाहिए. मार्गशीर्ष माह में कई महत्वपूर्ण व्रत-त्योहार आते हैं. आइए जानते हैं कार्तिक पूर्णिमा के बाद हिंदुओं का महत्वपूर्ण त्योहार कौन सा है.
कार्तिक पूर्णिमा के बाद कौन सा बड़ा हिंदू त्योहार है ? (Kaal Bhairav Jayanti 2024 Date)
मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव जयंती मनाई जाती है, इसे कालाष्टमी के नाम से भी जानते हैं. इस साल काल भैरव जयंती 22 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी.
कालाष्टमी के दिन भगवान महादेव के रौद्र अवतार कालभैरव देव की पूजा करने का विधान है. मान्यता है कि भगवान कालभैरव की पूजा-अर्चना करने से बुरी शक्तियों से छुटकारा मिलता है.
काल भैरव जयंती 2024 पूजा मुहूर्त (Kaal Bhairav Jayanti 2024 Time)
मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 22 नवंबर 2024 को शाम 06 बजकर 07 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 23 नवंबर 2024 को रात 07 बजकर 56 पर समाप्त होगी.
- काल भैरव पूजा मुहूर्त - सुबह 06.50 - सुबह 10.48
- निशिता काल मुहूर्त - रात 11.41 - प्रात: 12.34, 23 नवंबर
काल भैरव जयंती महत्व (Kaal Bhairav Jayanti Importance)
शास्त्रों में ऐसा बताया गया है कि, काल भैरव असीम शक्तियों के देवता हैं, इसलिए इनकी पूजा से अकाल मृत्यु का भय भी दूर हो जाता है. बाबा विश्वनाथ को काशी का राजा कहा जाता है, लेकिन कालभैरव के दर्शन किए बगैर विश्वनाथ का दर्शन भी अधूरा माना जाता है इसलिए कालभैरव को काशी का कोतवाल भी कहा जाता है.
काल भैरव पूजा विधि (Kaal Bhairav Puja Vidhi)
- कालाष्टमी के दिन सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठ कर नित्य-क्रिया आदि कर स्वच्छ हो जाएं.
- व्रत का संकल्प लें, ह्रीं उन्मत्त भैरवाय नमः का जाप करें.
- काल भैरव की सामान्य रूप से पूजा करें.
- अर्धरात्रि में धूप, काले तिल, दीपक, उड़द और सरसों के तेल से काल भैरव की पूजा करें.
- व्रत के सम्पूर्ण होने के बाद काले कुत्ते को मीठी रोटियां खिलाएं.
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