सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है. इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से वे भक्तों पर कृपा बरसाते हैं और उनके सभी संकट दूर करते हैं. किसी भी व्यक्ति की कुंडली में राहु और केतु के प्रभाव से कालसर्प दोष उत्पन्न होता है. धार्मिक मान्यता है भगवान शिव जी पूजा से कालसर्प दोष के प्रभावों में कमी आती है और इस दोष से उत्पन्न होने वाली परेशानियां दूर होती है. आइए जानें क्या होता कालसर्प योग, कालसर्प योग के नुकसान, कालसर्प दोष से फायदे और पूजा विधि के बारे में.


कालसर्प दोष क्या होता है?- ज्योतिष शास्त्र में कालसर्प दोष को एक अशुभ और खतरनाक योग में से एक माना गया है. मान्यता है कि जब राहु और केतु ग्रह के मध्य सभी ग्रह आ जाते हैं तो व्यक्ति की जन्म कुंडली में कालसर्प दोष का निर्माण होता है.


कालसर्प दोष के नुकसान- कालसर्प दोष जिस व्यक्ति की कुंडली में पाया जाता है, उसे हर चीज बहुत ही संघर्षों से प्राप्त होती है. ऐसे लोगों को हर कार्य में बाधाओं का सामना करना पड़ता है. मानसिक तनाव, अज्ञात भय और भ्रम की स्थिति भी बनती है. जॉब, करियर और बिजनेस में भी उतार चढ़ाव की स्थिति देखी जाती है.


कालसर्प दोष के फायदे- कालसर्प दोष को कुछ मामलों में लाभकारी भी माना गया है. राहु और केतु जीवन में अचानक घटित होने वाली घटनाओं के कारक भी माने गए हैं. इसलिए ये जीवन में शुभ फल भी प्रदान करते हैं. कालसर्प दोष जब होता है तो व्यक्ति बहुत परिश्रमी होता है. ऐसे व्यक्ति हिम्मत नहीं हारते हैं और निरंतर सफल होने के लिए प्रयास करते रहते हैं. कई प्रसिद्ध और महापुरुषों की कुंडली में कालसर्प दोष पाया गया है. इसलिए इससे अधिक घबराने की जरूरत नहीं है. कालसर्प दोष का उपाय करने के बाद इस दोष का प्रभाव कम हो जाता है और शुभ फल प्राप्त होते हैं.


कालसर्प दोष की पूजा- सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करने से कालसर्प दोष की शांति होती है. सोमवार को प्रात: काल उठकर भगवान शिव के दर्शन करने चाहिए. इसके बाद स्नान करने के बाद भगवान शिव की पूजा आरंभ करें. सोमवार को भगवान शिव का जलाभिषेक करें और भगवान शिव की प्रिय चीजों को चढ़ाएं.


शिव मंत्र का जाप करें ॐ नम: शिवाय


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