Kabir das Jayanti 2024: कबीरदास जयंती 22 जून 2024 को है, इस साल कबीरदास जी की 647वीं वर्ष गांठ मनाई जाएगी. कबीरदास जी ने समाज में फैले अंधविश्वास, रूढ़िवादी परंपराओं और पाखंड का विरोध करते हुए इंसानियत को सबसे ऊपर रखा.


संत कबीर दास जी ने अपने दोहों और विचारों के जरिए जनमानस को प्रभावित किया था. आज भी उनके दोहे जीवन का सच बयां करती है, इन दोहों में सुखी जिंदगी और सफलता का राज छिपा है.


निंदक नियेरे राखिये, आंगन कुटी छवायें।


बिन पानी साबुन बिना, निर्मल करे सुहाय।


कबीर जी कहते हैं कि, हमें निंदा करने वाले व्यक्ति को अपने आंगन में कुटिया बनाकर कर निकट रखना चाहिए क्योंकि वह हमारे अवगुण बिना साबुन और पानी के निर्मल कर देते हैं. जब कोई व्यक्ति हमारी निंदा करता है और ऐसे लोग अगर पास रहेंगे तो आपकी बुराइयां आपको बताते रहेंगे.


जंत्र मंत्र सब झूठ है, मति भरमो जग कोये।


सार शब्द जानै बिना, कागा हंस ना होये।


कबीर जी इस दोहे में कहते हैं कि," जंत्र - मंत्र आदि सब झूठी बातें हैं. इससे बुद्धि भ्रमित हो जाती है, इसलिए इन सब बातों से पर गौर न करें, इनके जाल में फंसकर व्यक्ति सही गलत की समझ भूल जाता है. जब तक शब्द का ज्ञान नहीं तब तक मनुष्य ज्ञानी नहीं हो सकता वैसे ही जीवन के मूल तत्व और मंत्र को जाने बिना कौवा कभी भी हंस नहीं बन सकता है.


धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होए।


 माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होए।


कबीर जी कहते हैं कि हमें धैर्य पूर्वक नियमित रूप से अपने काम करते रहना चाहिए और समय आने पर ही उसके परिणाम प्राप्त होंगे, जैसे एक माली चाहे वृक्ष को सौ घड़े पानी से सींचे लेकिन उस वृक्ष पर फल ऋतु के आने पर ही लगता है धैर्य का फल भी मीठा होता है.


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