Kabirdas Jayanti 2022 Katha: कबीर दास जी ने क्यों दी थी रोजाना सत्संग सुनने की सलाह, इस कथा से मिलेगी बड़ी सीख
Kabirdas Jayanti 2022 Katha: ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को काशी में 1398 में उनका जन्म हुआ था. इस दिन संत कबीरदास के अनुयायी उन्हें याद करते हैं और उनकी कविताओं का पाठ करते हैं.
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Kabirdas Jayanti 2022 Katha: कबीरदास जयंती 14 जून 2022 को मनाई जाएगी. ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को काशी में 1398 में उनका जन्म हुआ था. इस दिन संत कबीरदास के अनुयायी उन्हें याद करते हैं और उनकी कविताओं का पाठ करते हैं. कबीरदास भक्तिकाल के प्रमुख कवि थे, उन्होंने समाज सुधार पर बहुत जोर दिया. कबीर दास जी का निधन 1518 में मगहर में हुआ था.उन्होंने अपने दोहों के जरिए जीवन की कई सीख दी हैं। उनकी बातें जीवन में सकारात्मकता लाती हैं.आइए बताते हैं आपको उनकी एक कहानी जिसमें उन्होंने एक युवक को जीवन में सत्संग का मतलब समझाया.
रोजाना सत्संग सुनने के सही मायने
एक बार एक लड़का संत कबीर के पास पहुंचा और बोला कि गुरुदेव, मैंने खूब पढ़ाई की है. मैं अपना अच्छा-बुरा अच्छी तरह समझता हूं.लेकिन फिर भी मेरे पिता मुझे लगातार प्रवचन सुनने के लिए कहते हैं. आप ही बताएं मुझे रोज सत्संग की क्या जरूरत है? कबीरदास ने उस लड़के की बात बहुत ध्यान से सुनी. बिना जवाब दिए एक हथौड़ी उठाई और पास ही जमीन पर गड़े एक खूंटे पर मार दी. युवक कुछ समझ नहीं पाया और वहां से चल दिया.
खूंटे पर हथौड़ी मारकर दी युवक को सीख
अगले दिन वह फिर कबीर के पास आया. लड़के ने कहा कि मैंने आपसे एक प्रश्न पूछा था, लेकिन आपने जवाब नहीं दिया था, इसीलिए मैं आज फिर आया हूं. संत कबीर ने एक बार फिर हथौड़ी उठाई और खूंटे के ऊपर मार दी. लड़के ने सोचा कि आज भी इनका मौन है. तीसरे दिन फिर कबीरदास के पास पहुंचा और फिर वही बात पूछी.कबीरदास जी ने फिर वही प्रक्रिया दोहराई. तीसरी बार में युवक परेशान होकर बोला कि आखिर आप मेरी बात का जवाब क्यों नहीं दे रहे हैं?
क्यों सत्संग होना चाहिए जीवन का अहम हिस्सा
संत कबीर ने कहा कि मैंने रोजाना तुम्हारे प्रश्न का जवाब दिया है. मैं इस खूंटे पर हर दिन हथौड़ी मारकर जमीन में इसकी पकड़ को मजबूत कर रहा हूं. अगर मैं ऐसा नहीं करूंगा तो इससे बंधे पशुओं की खींचतान से या किसी की ठोकर लगने से यह निकल जाएगा. संत कबीर ने समझाया कि प्रवचन भी हमारे लिए ठीक इसी तरह काम करता है. अच्छी बातें हमारे मनरूपी खूंटे पर लगातार प्रहार करती हैं, ताकि हमारी पवित्र भावनाएं दृढ़ रहें. सत्संग हृदय में सत्य को दृढ़ कर असत्य को मिटाता, इसलिए रोजाना हमें सत्संग सुनना चाहिए.
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