Kajari Teej 2023: हर साल भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज का पर्व मनाया जाता है. कजरी तीज के मौके पर राजस्थान के शहर जोधपुर का स्वाद और जायके का अनोखा संगम हैं. खाने पीने के शौकीन लोगों के लिए यहां का स्वाद सर चढ़कर बोलता है. साथ ही हर तीज त्यौहार के लिए अलग ही तरह की खास मिठाई तैयार की जाती है. कजरी तीज के दिन महिलाएं और कुंवारी लड़कियां निर्जला व्रत रखती है.
कजरी तीज को बुढी तीज, बड़ी तीज, निमाड़ी तीज, कजरी तीज और सातुड़ी तीज के नाम से जाना जाता है. जिसे उत्तर प्रदेश,मध्य प्रदेश,राजस्थान और भारत के बाकी हिस्सों में भी धूमधाम मनाया जाता है. कजरी तीज रक्षा बंधन की 3 दिन बाद और कृष्ण जन्माष्टमी से 5 दिन पहले मनाई जाती है. लेकिन इस तीज के त्योहार की तैयारियां पहले से ही हो जाती है. इस दिन के लिए खास मिठाई बनाई जाती है.
सत्तु मिठाई (Sattu Mithai)
सत्तू इस दिन बनाए जाने वाली खास मिठाई है. इसी वजह से इसे सातुड़ी तीज भी कहा जाता है. जो इस बार 2 सितम्बर को मनाई जा रही है. कजरी तीज के मौके पर महिलाएं और लड़कियां हाथों में और पैरों पर मेहंदी लगाती है. पारंपरिक परिधान और आभूषणों से साज श्रृंगार करती है. इसके साथ ही घर में तरह-तरह के स्वादिष्ट पकवान बनाए जाते हैं. जिसे सब लोग मिलकर आनंद लेते हैं.
कजरी तीज के दिन महिलाएं व लड़कियां व्रत रखती है. सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए व्रत रखती है. वही कुंवारी लड़कियां अच्छा वर मिले इस कामना से व्रत रखती है. कजरी तीज के दिन महिलाएं गीत गाती है. कहानी सुनती है. चंद्रमा की पूजा करने के बाद सत्तू खाकर अपना उपवास खोलती है. इस दिन सत्तू खाना अनिवार्य है. परंपरा के आधार पर अलग-अलग तरह के सत्तू इसी दिन तैयार किए जाते हैं जिसमें चने का सत्तू ,जो का सत्तु, गेहूं का सत्तू, मैदे का सत्तू और चावल का सत्तू शामिल है. कजरी तीज के दिन सुहागन महिलाओं के पीयर से सत्तू आता है. इस सतु से उपवास खोलते हैं.
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