Kajari Teej 2024: इस साल कजरी तीज 22 अगस्त 2024 को है. पति की लंबी आयु, संतान सुख और परिवार की समृद्धि के लिए सुहागिनें ये व्रत करती है. कजरी तीज (kajalia teej) में चने का सत्तू विशेष महत्व रखता है. इसके बिना ये व्रत अधूरा माना गया है. भाद्रपद माह (Bhadrapad teej) में कजरी और हरतालिका तीज (Hartalika teej) आती है दोनों ही सुहाग से जुड़ा पर्व है, इसलिए इस दौरान पूजा में कथा का जरुर श्रवण करें. जानें कजरी तीज की कथा.


कजरी तीज व्रत कथा (Kajari Teej Katha)


पौराणिक मान्यता के अनुसार एक गांव में एक ब्राह्मण रहता था जो बहुत गरीब था. उसकी पत्नी ब्राह्मणी ने भाद्रपद महीने की कजली तीज का व्रत किया. उसने ब्राह्मण से कहा कि उसने तीज माता का व्रत रखा है. उसे चने का सत्तू चाहिए, कहीं से ले आओ. ब्राह्मण ने ब्राह्मणी को बोला कि वो सत्तू कहां से लाएगा. इस पर ब्राह्मणी ने कहा कि उसे सत्तू चाहिए फिर चाहे वो चोरी करे या डाका डाले लेकिन उसके लिए सत्तू लेकर आए.


रात का समय था. ब्राह्मण घर से निकलकर साहूकार की दुकान में घुस गया उसने साहूकार की दुकान से चने की दाल, घी, शक्कर लिया और सवा किलो तोल लिया. इसका सत्तू बना लिया. जैसे ही वो जाने लगा वैसे ही आवाज सुनकर दुकान के सभी नौकर जाग गए. सभी जोर-जोर से चोर-चोर चिल्लाने लगे. साहूकार ने ब्राह्मण को पकड़ लिया.


गरीब ब्राह्मण ने कहा कि वो चोर नहीं है, उसकी पत्नी ने तीज माता का व्रत किया है, इसलिए सिर्फ यह सवा किलो का सत्तू बनाकर ले जाने आया था. जब साहूकार ने ब्राह्मण की तलाशी ली तो उसके पास से सत्तू के अलावा और कुछ नहीं मिला.उधर चांद निकल गया था और ब्राह्मणी सत्तू का इंतजार कर रही थी, साहूकार ने ब्राह्मण से कहा कि आज से वो उसकी पत्नी को अपनी धर्म बहन मानेगा.


 उसने ब्राह्मण को सत्तू, गहने, रुपए, मेहंदी, लच्छा और बहुत सारा धन देकर दुकान से विदा कर दिया. फिर सबने मिलकर कजली माता की पूजा की. जिस तरह से ब्राह्मण के दिन सुखमय हो गए ठीक वैसे ही कजली माता की कृपा सब पर बनी रहे.


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