Kajri Teej 2020: कजरी तीज का पर्व महिलाओं को समर्पित है. कजरी तीज का पर्व उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार समेत कई अन्य राज्यों में भी भक्ति भाव से मनाया जाता है. कुछ क्षेत्रों में कजरी तीज को बूढ़ी तीज और सातूड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है.
सुहागन स्त्रियां रखती हैं व्रत
कजरी तीज को हरियाली तीज की तरह ही मनाया जाता है. कजरी तीज पर महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं. कजरी तीज का व्रत वैवाहिक जीवन में मधुरता लाता है और घर में की सुख और समृद्धि का कारक बनता है.
कजरी तीज की पूजा विधि
इस दिन नीमड़ी माता की पूजा की जाती है. इस दिन नदी, तालाब में कच्चा दूध और जल डाला जाता है और दीपक जलाया जाता है. पूजा की थाली में नींबू, ककड़ी, केला, सेब, सत्तू, रोली, मौली अक्षत सजा कर शाम को नीमड़ी माता की पूजा की जाती है.
दांपत्य जीवन से दूर होंगे वाद विवाद
जिन स्त्रियों के वैवाहिक जीवन में कोई परेशानी बनी हुई है. उन स्त्रियों को कजरी तीज का व्रत बहुत फलदायी माना गया है. मान्यता है कि कजरी तीज का व्रत रखने से वैवाहिक जीवन से तनाव, वाद-विवाद और कलह समाप्त होता है. इस व्रत का लाभ लेने के लिए विधि विधान का पूरा पालन करना चाहिए.
चंद्रोदय के बाद समाप्त करें व्रत
कजरी तीज का व्रत चंद्रोदय के बाद ही समाप्त करना चाहिए. कजरी तीज पर अन्न, घी और मेवा से तैयार पकवान बनाएं. व्रत समाप्त करने के बाद नीमड़ी माता को अर्पित करने के बाद भोजन करें. चंद्रोदय के बाद भोजन करके व्रत तोड़ा जाता है. कजरी तीज पर झूला झूलने की भी परंपरा है. इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार कर भजन, गीत गाती हैं.
कजरी तीज मुहूर्त
तृतीया तिथि प्रारम्भ: 5 अगस्त को 10:50 PM
तृतीया तिथि समाप्त: 7 अगस्त को 12:14 AM
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