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14 मई को है कालाष्टमी, काल भैरव की होती है पूजा, ऐसे पाएं कृपा
कालाष्टमी के दिन भगवान काल भैरव की पूजा का विधान है. इस दिन काल भैरव को प्रसन्न किया जाता है. इस दिन मां दुर्गा की भी पूजा की जाती है.
![14 मई को है कालाष्टमी, काल भैरव की होती है पूजा, ऐसे पाएं कृपा Kalashtami 2020 May 14 Ka Vrat Puja Vidhi Durga Chalisa Kaal Panchang Aaj Ka Vrat 14 मई को है कालाष्टमी, काल भैरव की होती है पूजा, ऐसे पाएं कृपा](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2020/05/14041951/Kaal_Bhairav_Hanumandhoka_Kathmandu.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Kalashtami 2020: 14 मई 2020 को कालाष्टमी मनाई जाएगी. काल भैरव को भगवान शिव का अवतार माना गया है. मान्यता है कि इस दिन काल भैरव की पूजा करने से जीवन में आने वाली बधाएं दूर होती हैं. शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
पंचांग के अनुसार कृष्ण पक्ष की अष्ठमी की तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है. इस समय ज्येष्ठ मास चल रहा है. ज्येष्ठ मास की कालाष्टमी को विशेष माना गया है. इस दिन एक विशेष संयोग बन रहा है इस दिन देव गुरु बृहस्पति वक्री हो रहे हैं.
मां दुर्गा की होती है पूजा इस दिन मां दुर्गा की पूजा भी शुभ फल प्रदान करने वाली मानी गई है. सुबह स्नान करने के बाद मां दुर्गा का स्मरण करते हुए पूजा आरंभ करनी चाहिए. मां दुर्गा की पूजा के उपरांत काल भैरव की पूजा करनी चाहिए. इस दिन दुर्गा चालीसा का पाठ करना श्रेयष्कर माना गया है.
व्रत की विधि इस दिन जो लोग व्रत रखते हैं वे पूजा प्रारंभ करने से पूर्व व्रत का संकल्प लें. मां पार्वती और भोलेनाथ की पूजा करें.
कुत्ते को भोजन कराएं कहा जाता है इस दिन कुत्ते को भोजन कराने से काल भैरव प्रसन्न होते हैं. जिन लोगों के जीवन में कोई संकट और परेशानी बनी हुई है उन्हें आज के दिन कुत्ते को रोटी, गुड और आटे से बने पकौडियां खिलानी चाहिए.
मंत्र ॐ कालभैरवाय नम:
दुर्गा चालीसा नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूं लोक फैली उजियारी॥ शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥ रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे॥ तुम संसार शक्ति लै कीना। पालन हेतु अन्न धन दीना॥ अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥ प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥ शिव योगी तुम्हरे गुण गावें। ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥ रूप सरस्वती को तुम धारा। दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥ धरयो रूप नरसिंह को अम्बा। परगट भई फाड़कर खम्बा॥ रक्षा करि प्रह्लाद बचायो। हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥ लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं। श्री नारायण अंग समाहीं॥ क्षीरसिन्धु में करत विलासा। दयासिन्धु दीजै मन आसा॥ हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी॥ मातंगी अरु धूमावति माता। भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥ श्री भैरव तारा जग तारिणी। छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥ केहरि वाहन सोह भवानी। लांगुर वीर चलत अगवानी॥ कर में खप्पर खड्ग विराजै। जाको देख काल डर भाजै॥ सोहै अस्त्र और त्रिशूला। जाते उठत शत्रु हिय शूला॥ नगरकोट में तुम्हीं विराजत। तिहुंलोक में डंका बाजत॥ शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे। रक्तबीज शंखन संहारे॥ महिषासुर नृप अति अभिमानी। जेहि अघ भार मही अकुलानी॥ रूप कराल कालिका धारा। सेन सहित तुम तिहि संहारा॥ परी गाढ़ संतन पर जब जब। भई सहाय मातु तुम तब तब॥ अमरपुरी अरु बासव लोका। तब महिमा सब रहें अशोका॥ ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी। तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥ प्रेम भक्ति से जो यश गावें। दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥ ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई। जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥ जोगी सुर मुनि कहत पुकारी। योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥ शंकर आचारज तप कीनो। काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥ निशिदिन ध्यान धरो शंकर को। काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥ शक्ति रूप का मरम न पायो। शक्ति गई तब मन पछितायो॥ शरणागत हुई कीर्ति बखानी। जय जय जय जगदम्ब भवानी॥ भई प्रसन्न आदि जगदम्बा। दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥ मोको मातु कष्ट अति घेरो। तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥ आशा तृष्णा निपट सतावें। रिपू मुरख मौही डरपावे॥ शत्रु नाश कीजै महारानी। सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥ करो कृपा हे मातु दयाला। ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला। जब लगि जिऊं दया फल पाऊं । तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं ॥ दुर्गा चालीसा जो कोई गावै। सब सुख भोग परमपद पावै॥ देवीदास शरण निज जानी। करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥शनि और शुक्र के बाद अब देव गुरु बृहस्पति होने जा रहे हैं वक्री, जानें उपाय
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