Kali Puja 2024: दिवाली (Diwali) का त्योहार मां लक्ष्मी को समर्पित है लेकिन दीपावली पर काली पूजा का भी विधान है. दीपावली के 5 दिन के उत्सव में मां काली की पूजा दो बार होती है. पहली नरक चतुर्दशी पर और दूसरी दिवाली की अंधेरा रात में.
माना जाता है कि मां काली की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार का भय, कष्टों और तंत्र-मंत्र के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिलती है. जानते हैं दिवाली की रात काली पूजा का मुहूर्त, महत्व.
काली पूजा 2024 डेट (Bengal Kali Puja 2024 Date)
कार्तिक अमावस्या (Karti amavasya) यानी दिवाली की रात की जाने वाली काली पूजा 31 अक्टूबर 2024 को होगी. भारत में दीवाली पर अधिकतर लोग जब देवी लक्ष्मीजी की पूजा करते हैं तब पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और असम में दिवाली की रात अमावस्या तिथि पर लोग देवी काली की पूजा करते हैं. काली पूजा को श्यामा पूजा के नाम से भी जाना जाता है.
काली पूजा 2024 मुहूर्त (Kali Puja 2024 Muhurat)
कार्तिक अमावस्या तिथि शुरू - 31 अक्टूबर 2024, दोपहर 03.52
कार्तिक अमावस्या तिथि समाप्त - 1 नवंबर 2024, शाम 06.18
- काली पूजा निशिता काल समय - रात 11.39 - देर रात 12.31
- अवधि - 52 मिनट
काली पूजा का महत्व (Kali Puja significance)
देवी दुर्गा की दस महाविद्याओं के स्वरूपों में माता काली प्रमुख स्थान पर हैं. देवी काली को शक्ति स्वरूपा माना गया है. इनकी आराधना करने से तमाम तरह के भय और नकारात्मक शक्तियां खत्म हो जाती हैं. तंत्र साधक महाकाली की साधना को अधिक प्रभावशाली मानते हैं. इनकी उपासना से व्यक्ति के मनोरथ जल्द पूरे होते हैं. राहु, केतु और शनि के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए काली पूजा अचूक मानी गई है.
कैसे होती है काली पूजा ?
मां काली दो तरीके से होती है. एक सामान्य और दूसरी तंत्र पूजा. सामान्य पूजा कोई भी कर सकता है. माता काली की सामान्य पूजा में विशेष रूप से 108 गुड़हल के फूल, 108 बेलपत्र एवं माला, 108 मिट्टी के दीपक और 108 दुर्वा चढ़ाने की परंपरा है. साथ ही मौसमी फल, मिठाई, खिचड़ी, खीर, तली हुई सब्जी और अन्य व्यंजनों का भी भोग माता को चढ़ाया जाता है. पूजा की इस विधि में सुबह से उपवास रखकर रात्रि में भोग, होम-हवन व पुष्पांजलि आदि का समावेश होता है.
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