Kalki Jayanti 2023: 64 कलाओं से परिपूर्ण इस दिन धरती पर उतरेगा भगवान विष्णु का कल्कि अवतार, जानें फिर क्या होगा
Kalki Jayanti 2023: विष्णुजी के दस अवतार हैं. अलग-अलग युग में भगवान 9 अवतार में जन्म ले चुके हैं. लेकिन विष्णु का ‘कल्कि अवतार’ अभी बाकी है. कलयुग के अंत में भगवान विष्णु का कल्कि अवतार में जन्म होगा.
Kalki Jayanti 2023: मंगलवार 22 अगस्त 2023 को कल्कि जयंती मनाई जाएगी. कल्कि जयंती भगवान श्रीहरि विष्णु के अवतार से संबंधित है. भगवान विष्णु के कई अवतारों में कल्कि आखिरी अवतार है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, कल्कि अवतार में भगवान विष्णु कलयुग के अंत में जन्म लेंगे और इसके बाद कलयुग का अंत हो जाएगा और फिर से सतयुग की शुरुआत होगी.
कब है कल्कि जयंती
कल्कि जयंती का पर्व हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है, जोकि इस साल 22 अगस्त 2023 को पड़ रही है. धार्मिक गंथों के अनुसार, कलयुग के अंत में सावन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को कल्कि अवतार में भगवान विष्णु का जन्म होगा. इसलिए इसी दिन कल्कि जयंती मनाई जाती है. कल्कि जयंती विशेषकर वैष्णव संप्रदाय के लोगों के लिए खास पर्व होता है. इस दिन भगवान विष्णु के कल्कि अवतार की पूजा की जाती है. कल्कि भगवान विष्णु का ऐसा अवतार है, जिसकी पूजा उनके जन्म के पहले से ही की जा रही है.
भगवान कल्कि की पूजा विधि
कल्कि जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानदि करें और फिर व्रत का संकल्प लें. अब भगवान विष्णु के कल्कि अवतार की मूर्ति या फोटो में गंगाजल छिड़के और वस्त्र पहनाएं. लकड़ी की चौकी में लाल रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान कल्कि को स्थापित करें. इसके बाद धूप, दीप, नैवेद्य, फूल आदि अर्पित कर पूजा करें.
कल्कि अवतार में कब होगा भगवान विष्णु का अवतरण
श्रीमद्भागवत पुराण के 12वें स्कंद के 24वें श्लोक के अनुसार, जब गुरु, सूर्य और चंद्रमा एक साथ पुष्य नक्षत्र में प्रवेश करेंगे तब भगवान कल्कि का जन्म होगा. कल्कि का अवतरण सावन महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को होगा. यही कारण है कि, हर साल इस तिथि को कल्कि जयंती के रूप में मनाया जाता है. श्रीमद्भागवत पुराण में भगवान विष्णु के कल्कि अवतार के बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया है. इसके अनुसार, कलयुग के अंत में जब पाप बढ़ जाएगा, तब कल्कि अवतार में जन्म लेकर भगवान पापियों का संहार करेंगे और फिर से धर्म की स्थापना करेंगे. इसके बाद सतयुग की शुरुआत होगी.
कल्कि अवतार का समय, दिन और स्थान
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कलियुग का प्रारंभ 3102 ईसा पूर्व से हुआ था. जब भगवान श्रीकृष्ण ने पृथ्वीलोक से विदा लिया तब कलयुग का प्रथम चरण शुरू हो चुका था.कहा जाता है कि, पृथ्वी पर कलयुग का इतिहास 4 लाख 32 हजार वर्षों का होगा, जिसमें अभी प्रथम चरण चल रहा है. यानी 3102+2023= 5125 साल कलियुग के बीत चुके हैं और 426875 साल अभी शेष हैं. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कलियुग के अंत में कल्कि अवतार में भगवान विष्णु का जन्म होगा.
पुराणों में भगवान विष्णु के दसवें और आखिरी कल्कि अवतार के जन्म की जो तिथि बताई गई है, उसके अनुसार, भगवान कल्कि सावन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को जन्म लेंगे. वहीं कल्कि पुराण के अनुसार, भगवान कल्कि का जन्म संभल गांव में होगा. उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद के पास संभल गांव है. उनके पिता का नाम विष्णुयश और माता का नाम सुमति होगा. रामजी की तरह भगवान कल्कि के भी चार भाई होंगे और सभी मिलकर धर्म की स्थापना करेंगे. भगवान कल्कि का दो विवाह होगा. उनकी पत्नियों का नाम लक्ष्मी रूपी पद्मा और वैष्णवी रूपी रमा होगा.
64 कलाओं से परिपूर्ण होगा भगवान का कल्कि अवतार
अग्नि पुराण में भगवान कल्कि अवतार के स्वरूप का चित्रण किया गया है. इसमें भगवान तीर कमान के साथ घुड़सवार करते हुए नजर आते हैं. कल्कि अवतार के बारे में कहा जाता है कि, भगवान का यह स्वरूप 64 कलाओं से परिपूर्ण होगा. भगवान सफेद रंग के घोड़े पर सवार होंगे, जिसका नाम देवदत्त होगा.
महाभारत और कई धर्म ग्रंथों के रचयिता महर्षि वेद व्यास जी ने हजारों वर्ष पहले भविष्यवाणी की थी कि, जैस-जैसे कलयुग का समय बीतता जाएगा, धरती पर अत्याचार और पाप भी बढ़ते जाएंगे. व्यक्ति में संस्कारों का नाश हो जाएगा, कोई गुरुओं के उपदेशों का पालन नहीं करेगा, वेदों को मानने वाला कोई नहीं होगा और अधर्म अपने चरम पर होगा. तब भगवान कल्कि अपने गुरु भगवान परशुराम के निर्देश पर भगवान शिवजी की तपस्या करेंगे और दिव्यशक्तियों को प्राप्त करेंगे. दिव्यशक्तियों को प्राप्त करने के बाद भगवान कल्कि देवदत्त घोड़े पर सवार होकर पापियों का संहार करेंगे और पुन: धर्म का पताका लहराएंगे. इस तरह से कल्कि के जन्म के बाद कलयुग का अंत हो जाएगा और पुन: सतयुग की शुरुआत होगी.
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