Kamada Ekadashi 2023: कामदा एकादशी के व्रत से दूर होते हैं दुख-दरिद्रता, जानें महत्व और ये कथा
Kamada Ekadashi 2023: कामदा एकादशी का व्रत 1 और 2 अप्रैल 2023 दोनों दिन रखा जाएगा. कामदा एकादशी की पूजा में व्रत का श्रवण जरुर करें, कहते हैं इसके बिना व्रत और श्रीहरि की पूजा अधूरी मानी जाती है.
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Kamada Ekadashi 2023 Date and Time: हिंदू पंचांग के अनुसार कामदा एकादशी का व्रत 1 और 2 अप्रैल 2023 दोनों दिन रखा जाएगा. पहले दिन परिवारजनों को व्रत करना शुभ रहेगा वहीं दूसरे दिन वैष्णव संप्रदाय की एकादशी है. कामदा एकादशी व्रत को लेकर मान्यता है कि इसके प्रताप से ब्रह्म हत्या जैसे गंभीर पाप से मुक्ति मिल जाती है. कामदा एकादशी की पूजा में कथा का श्रवण जरुर करें, कहते हैं इसके बिना व्रत और श्रीहरि की पूजा अधूरी मानी जाती है. आइए जानते हैं कामदा एकादशी व्रत की कथा, मुहूर्त.
कामदा एकादशी 2023 मुहूर्त (Kamada Ekadashi 2023 Muhurat)
चैत्र शुक्ल एकादशी तिथि शुरू - 1 अप्रैल 2023, प्रात: 01.58
चैत्र शुक्ल एकादशी तिथि समाप्त - 2 अप्रैल 2023, सुबह 04.19
- कामदा एकादशी व्रत पारण समय - दोपहर 01.40 - शाम 04.10 (2 अप्रैल 2023)
कामदा एकादशी कथा (Kamada Ekadashi Katha)
प्राचीन काल में एक पुंडरीक नाम का राजा था, जिसका राज्य भोगीपुर में था. राजा पुंडरीक धन-संपदा से परिपूर्ण था. उसी राज्य में ललित और ललिता नाम के स्त्री और पुरुष रहते थे. दोनों के बीच अथाह प्रेम था. एक बार राजा पुंडरीक की सभा में ललित अन्य कलाकारों के साथ गाना गा रहा था,गाते-गाते उसको अपनी प्रिय ललिता का ध्यान आ गया और उसका स्वर भंग होने के कारण गाने का स्वरूप बिगड़ गया.
पत्नी की याद में भटका कलाकार का मन
राजा पुंडरीक तक जब ये बात पहुंची तो उन्होंने ललित को श्राप दे दिया कि वह मनुष्यों और कच्चा मास खाने वाला राक्षस बन जाएगा. ललित उसी पल आठ योजन वाला महाकाय विशाल राक्षस हो गया. राक्षस योनि में आने के बाद ललित का जीवन दुखों से भर गया. ललिता अपने पति की यह हालात देखकर अत्यंत दुखी हो गई और पति के श्राप से मुक्ति का उपाय सोचने लगी. एक बार ललिता अपने पति के पीछे घूमती-घूमती विन्ध्याचल पर्वत श्रृंगी ऋषि का आश्रम में पहुंची और इस दुविधा से निकलने का रास्ता पूछा.
राक्षस योनि से मुक्ति के लिए पत्नी ने रखा कामदा एकादशी व्रत
श्रृंगी ऋषि ने ललिता को बताया कि वह चैत्र माह की कामदा एकादशी का व्रत करें. ललिता ने पति को श्राप मुक्त कराने के उद्देश्य से विधि पूर्वक कामदा एकादशी का व्रत-पूजन किया और द्वादशी पर व्रत पारण किया. इस व्रत के प्रभाव से उसका पति ललित राक्षस योनि से मुक्त हो गया और पति-पत्नी पुन: खुशी से जीवन यापन करने लगे.
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