Kamika Ekadashi 2023 Parana: कामिका एकादशी पारण आज, यहां जान लें इसकी पूजन विधि, पारण का समय और महत्वपूर्ण बातें
Kamika Ekadashi 2023 Parana: कामिका एकादशी का व्रत करने वाला कुयोनि में जन्म नहीं लेता, लेकिन इसका फल तभी मिलता है जब कामिका एकादशी व्रत का पारण सही विधि और नियमों का पालन करते हुए किया जाए.
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Kamika Ekadashi 2023 Vrat Parana: कामिका एकादशी व्रत का पारण 14 जुलाई 2023 को है. इस दिन सावन का पहला प्रदोष व्रत भी रखा जाएगा. सावन में कामिका एकादशी के व्रत के बारे में खुद भगवान ने कहा है कि मनुष्यों को अध्यात्म विद्या से जो फायदा मिलता है उससे ज्यादा फल कामिका एकादशी का व्रत करने से मिल जाता है.
कामिका एकादशी का व्रत करने वाला कुयोनि में जन्म नहीं लेता, लेकिन इसका फल तभी मिलता है जब कामिका एकादशी व्रत का पारण सही विधि और नियमों का पालन करते हुए किया जाए. आइए जानते हैं कामिका एकादशी व्रत पारण का समय, विधि.
कामिका एकादशी व्रत पारण 2023 मुहूर्त (Kamika Ekadashi 2023 Vrat Parana Time)
पंचांग के अनुसार सावन की कामिका एकादशी के व्रत पारण के लिए 14 जुलाई 2023 को सुबह 05 बजकर 38 मिनट से सुबह 08 बजकर 18 मिनट तक शुभ मुहूर्त है.
कामिक एकादशी व्रत पारण विधि (Kamika Ekadashi Vrat Parana Vidhi)
धर्म ग्रंथों के अनुसार कामिका एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि पर किया जाएगा. ऐसे में सूर्योदय के बाद ही व्रत खोलें, उससे पहले कुछ न खाएं. एकादशी का व्रत शुभ मुहूर्त में ही खोलना चाहिए या फिर द्वादशी तिथि के समाप्त होने से पहले इसका पारण कर लें, अन्यता है व्रत-पूजा का फल नहीं मिलता. एकादशी व्रत खोलने से पहले विधि विधान से विष्णु जी की पूजा करें, दान दें और फिर घाय के घी से बना भोजन ही ग्रहण करें. भोजन सात्विक होना चाहिए. कहते हैं एकादशी व्रत में धर्म के नियमों का पालन नहीं करने वालों को जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति नहीं मिलती, व्यक्ति अनेकों योनियों में जन्म लेकर कष्ट भोगता है.
सावन में विष्णु पूजा और एकादशी व्रत का महत्व
स्कंद पुराण में बताया गया है कि सावन महीने आने वाली एकादशी पर व्रत, पूजा और दान से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं. शिव सृष्टि के संहारक हैं और विष्णु जी जगत के पालन हार इन दोनों की कृपा मिलने से व्यक्ति का जीवन संवर जाता है. यही वजह है कि सावन में एकादशी शिव और विष्णु जी की पूजा करने से हर दुख, दोष, रोग, कष्ट समाप्त हो जाते हैं. पितरों की आत्मा को शांति मिलती है.
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