पुराणों में धन प्राप्ति के अनेकों उपाय बताए गए हैं. उनमें सबसे अधिक प्रभावशाली व शीघ्र फलदायी कनकधारा स्त्रोत है. इसके रचनाकार आदि शंकराचार्य हैं. इन्होंने इसकी सहायता से सोने की वर्षा करवाई थी. एक बार आदिशंकराचार्य भिक्षा मांगने किसी गरीब बुढ़िया के घर गए. उसके पास उन्हें देने के लिए कुछ नहीं था. उसने भिक्षा के रूप में उन्हें एक सूखा आंवला दे दिया. उसकी दरिद्रता दूर करने के लिए उन्होंने मां लक्ष्मी से प्रार्थना की. प्रार्थना पूरी होते ही उसके घर सोने के आंवलों की वर्षा होने लगी. उनकी ये प्रार्थना कनकधारा स्रोत के नाम से प्रसिद्ध हुई.

कनकधारा स्त्रोत माता लक्ष्मी जी की सुन्दर स्तुति है जो उनको बहुत पसंद है. जब आप इस स्त्रोत का पाठ करते हैं तो माता लक्ष्मी साधक पर प्रसन्न होती हैं और उनकी कृपा से आर्थिक समस्या के समाधान के मौलिक विचार और संयोग प्राप्त होते हैं.


कहा जाता है कि महामना पंड़ित मदन मोहन मालवीय भी कनकधारा स्त्रोत को ऋणमुक्ति का अचूक उपाय मानते थे. धन प्राप्त करने के लिए या कर्ज चुकाने के लिए हिन्दू पुराणों में वर्णित कनकधारा मंत्र का आप चमत्कारिक रूप से लाभ प्राप्त कर सकते हैं. इस मंत्र की विशेषता यह है कि अगर आपने कर्ज लिया है तो कर्ज चुकाने की क्षमता आपके अंदर आ जाती है. अगर आपने अपना धन किसी को दिया है तो वह आपका आपको धन लौटाने के लिए बाध्य हो जाता है.

पाठ विधि
स्नान करके स्वच्छ और ढीले वस्त्र धारण कर भगवान के पास कनकधारा यंत्र को रख कर पूजा कर नियमित कनकधारा स्त्रोत का पाठ करना चाहिए. इस पाठ को करने के समय आप यथा संभव हो सके तो जमीन पर आसन पर बैठें जो लोग नीचे नहीं बैठ सकते हैं, वे कुर्सी या सोफे पर बैठ कर भी पाठ कर सकते हैं. अगर किसी दिन भूल जाएं या किसी कारण वश पाठ न कर सकें तो कोई बात नहीं. यह सिद्ध मंत्र होने के कारण चैतन्य माना जाता है. हमेशा अट्ठारह श्लोकों का कनकधारा स्त्रोत पाठ करने की बात विद्वतजन करते हैं.