Janmastami : कृष्ण जन्मोत्सव पर कान्हा का प्रसाद सबसे उत्तम पारण
Janmastami :कृष्ण जन्म पर प्रभु पर आस्था व्यक्त करने के लिए व्रत का प्रावधान है. कृष्ण जन्म के बाद भोग ग्रहण कर व्रत पूर्ण माना जाता है.
Janmastami : भए प्रकट कृपाला...भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन नंद लाल का जन्मदिवस मनाया जाता है. इस दिन भगवान को लगाए जाने वाले भोग का विशेष महत्व है, आइए जानते हैं कि भगवान को क्या भोग लगाना चाहिए, जिसके पारण से भक्तों का भी मंगल होता है.
पंचामृत
कृष्णजी को जन्म के बाद पंचामृत से स्नान कराया जाता है. पंचामृत बिना विष्णु और उनके पूजन के सम्भव नहीं है. कृष्ण के छप्पन भोगों में इसका विशेष महत्व है. इसकी धार्मिक मान्यता तो है ही साथ ही आयुर्वेद भी इसके लाभों को स्वीकारता है. आयुर्वेद के अनुसार यह पांच अमृत यानी दूध, दही, शहद, चीनी और धी से मिलकर पंचामृत बनता है. इस भोग से पारण करना धार्मिक आस्था के साथ शारीरिक गुणवत्ता भरा होगा. पंचामृत आपका पाचन ठीक करता है. पित भी संतुलित करता है. इसके सेवन से रोगप्रतिरोधक क्षमता में भी इजाफा होने के साथ ढेरों फायदे भी हैं. पंचामृत बनाते वक्त भी कुछ बातों का ख्याल रखना होता है. पंचामृत सूर्यास्त के बाद नहीं बनाना चाहिए. पांच अमृत के अलावा इसमें गंगा जल और तुलसी दल इसकी पवित्रता में और भी इजाफा कर जाते हैं.
हलवे का भोग
विष्णु को सूजी का हलवा भी प्रिय है. आप विष्णु अवतार कृष्ण को देसी घी से बने सूजी के हलवे का भोग लगा सकते हैं. मान्यता है कि इस भोग को लगाने और पारण से घर में धन, वैभव की कमी नहीं होने पाती.
साग है पसंद
प्रेम के वश में आकर श्री कृष्ण ने दुर्योधन का मेवा त्याग कर विदुर के घर साग भोग ग्रहण किया था. आप कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर उन्हें साग का भी भोग चढ़ा सकते हैं.
लगाएं खीर का भोग
यशोदा के लाला को खीर बेहद पसंद है. जन्माष्टमी के दिन खीर का भोग उन्हें बेहद पसंद है. मान्यता है जन्माष्टमी के दिन खीर का भोग लगाने से आपकी मकान प्राप्ति की इच्छा पूरी होती है. साथ आर्थिक संकट आपको छूने भी नहीं पाता.
यह भोग भी फलदायक
दही- कृष्ण को दही भी खूब भाता है. कहते हैं कि दही का भोग आपको निरोगी बनता है.
लड्डू - नाम से ही साफ होता है लड्डू गोपाल को लड्डू प्रिय है. संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वालों को उन्हें लड्डू को भोग लगाना चाहिए. कृष्ण को आप काले तिल के लड्डू का भी भोग लगा सकते हैं.
माखन-मिश्री
इस भोग को भला कोई कैसे भूल सकता है. कृष्ण का माखन प्रेम किसी कहां छिपा है. इसके चक्कर में तो न जाने कितनी बार कान्हा को सजा तक मिली है. इस बार मिश्री का भोग आपकी नौकरी की तलाश को पूरा करने में आपके लिए मददगार साबित हो सकता है.
इसलिए लगता है छप्पन भोग
कान्हा को छप्पन भोग का भोग लगया जाता है. पौराणिक मान्यता है कि कृष्ण की बाल्यावस्था में माता उनके लिए दिनभर में आठ बार अलग-अलग पकवान बनाकर खिलाती थीं. लेकिन इंद्र देव के प्रकोप से बचने के लिए उन्होंने गोवर्धन पर्वत को ऊंगली पर उठाया था तब वह पूरे सात दिन भूखे रहे. आठवें दिन जब बारिश रुकी तब किसी को भी यह अच्छा नहीं लगा कि हर रोज आठ बार खाने वाले कान्हा सात दिनों तक भूखा रहे. तब माता यशोदा और पूरे ब्रजवासियों ने मिलकर सात दिनों तक आठ बार के हिसाब से उन्हें अलग-अलग छप्पन पकवान खिलाएं. तभी से छप्पन भोग की शुरुआत हुई.
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