Kark Sankranti 2021: धार्मिक दृष्टि से कर्क संक्रांति काफी खास मानी जाती है. इस दिन सूर्य मिथुन राशि से कर्क राशि में प्रवेश या गोचर करता है. सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश या गोचर करने को संक्रांति कहते हैं, अथवा यह जिस भी राशि में गोचर करता है, उसी नाम से संक्रांति जानी जाती है.


सूर्य देव के इस परिवर्तन का असर सभी 12 राशियों पर देखने को मिलता है. सूर्य देव कर्क राशि में पूरे एक महीने अर्थात 16 अगस्त तक रहेंगे. ऐसे में वह सभी 12 राशियों को प्रभावित करते रहेंगे. इसके बाद ये अपनी खुद की राशि यानि सिंह राशि में गोचर कर जाएंगे.


इस समय करेंगे कर्क राशि में प्रवेश
पंचांग के अनुसार कर्क संक्रांति ऋतु परिवर्तन का भी संकेत है. यह एक खगोलीय घटना है, और यह घटना तब होती है, जब सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करता है. बता दें कि 16 जुलाई को सूर्य देव उत्तरायण से दक्षिणयाण में प्रवेश करेंगे. सूर्य भगवान का सभी राशियों में खास महत्व है. ज्योतिष शास्त्र में सूर्य देव को सभी राशियों का राजा माना गया है. कर्क संक्रांति का पुण्य काल 16 जुलाई को प्रात: 05 बजकर 34 मिनट से शाम को 05 बजकर 09 मिनट तक है. यह कुल अवधि 11 घंटे 35 मिनट की है.


कर्क संक्राति के नियम
कर्क संक्रांति को किसी भी शुभ और नए कार्य के प्रारंभ के लिए शुभ नहीं माना जाता है. धार्मिक मतों के अनुसार, दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि कहा जाता है. इस समय काल में सभी देवी-देवता योग निद्रा में होते हैं. दक्षिणायन से चातुर्मास का प्रारंभ होता है. ऐसे में कोई मांगलिक कार्य जैसे विवाह, लगन, सगाई, मुंडन आदि न करने की सलाह दी जाती है. इस दिन सूर्यदेव को जल अर्पित करें. संक्रांति में की गई सूर्य उपासना से दोषों का शमन होता है. इस दिन आदित्य स्तोत्र एवं सूर्य मंत्र का पाठ करें. इस समय में शहद का प्रयोग लाभकारी माना जाता है. कर्क संक्रांति पर कपड़े और खाने की चीजों खासतौर पर तेल के दान का विशेष महत्व है.


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