Karma: अक्सर आपने लोगों को कहते सुना होगा. भाग्य का लिखा कोई नहीं बदल सकता. हां यह सच है कि भाग्य का लिखा कोई नहीं बदल सकता है. कौई मौत के मुंह से बाहर आ जाता है तो कोई चाहकर भी अपने प्राण नहीं बचा पाता है. सब किस्मत का खेल है. पर क्या आप भी हाथ पर हाथ धरे किस्मत के भरोसे बैठे रहते हैं? अगर ऐसा है तो अपने कर्मों की बात तो सुनी होगी. कर्मों का फल आपको मिलता है. कहीं का किया कहीं तो निकलता है वो करनी अच्छी भी हो सकती है बुरी भी हो सकती है. 


"कर्मों का फल मिलना निश्चित है तो कैसे बदलेगा अच्छे कर्मों से आपका भाग्य"


जीवन की इस यात्रा में कर्म और किस्मत ही निर्धारित करते हैं कि आपका जीवन कैसा होगा. कर्म और किस्मत एक दूसरे के पूरक है. कर्म को हमेशा से प्रधानता दी जाती है. बिना कर्म किए आपको जीवन में किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त नहीं होती है. अगर आपको अपनी किस्मत को बेहतर बनाना है तो शुरुआत अच्छे कर्म करने से करें. अगर आप किसी की निस्वार्थ भाव से मदद करते हैं, हर किसी से प्यार से बात करते हैं, किसी की मजबूरी का फायदा नहीं उठाते हैं, सबका बुरे वक्त में साथ देते हैं तो हां आप अच्छे कर्म कर रहें हैं और यह कर्म आपके मुश्किल समय में आपकी मदद करते हैं और भगवान भी आपको कठिन से कठिन परस्थितियों से बाहर निकालते हैं. 


भाग्य का लिखा आपके अच्छे कर्म बदल सकते हैं इसलिए आपको कभी भी किसी का दिल नहीं दुखाना चाहिए. लोग सोचते हैं कि अगर हम बुरा करेंगे तो हमारे साथ आज अच्छा हो रहा है तो कभी बुरा नहीं होगा. पर हो सकता है आपके पिछले जन्म के कर्म अच्छे हो इसलिए आपके साथ अभी अच्छा हो रहा है पर अगर आपने कुछ बुरा किया है तो किसी न किसी जन्म में उसकी सजा मिलती है. कभी किसी जन्म के बुरे कर्मों का फल भी दूसरे जन्म में मिलता है. आप अपने जीवन को बेहतर बनाने के प्रयास में दूसरों की भी मदद करके उनके जीवन को भी बेहतर बनाने का प्रयास करें. हर मनुष्य से आप कुछ न कुछ सीख ले सकते हैं. जिनसें भी आप मिलें उनसे अच्छी चीजें सीखें और उनके बुरें बर्ताव पर उनको समझाएं. कर्मों से ही हमारी ज़िंदगी की दिशा और दशा तय होती है. कर्मों को पूजा की तरह लेना चाहिए और इन्हें पवित्र रखना चाहिए. कर्म करने से शांतिपूर्ण मन और आत्मा मिलती है और सुखी जीवन प्राप्त होता है. कर्म ही हमें नई पहचान, नया चेहरा और जीवन को अर्थ देता है. कर्म ही भाग्य का निर्माण करता है. 


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