Kartik Month 2022 Rules: 10 अक्टूबर से कार्तिक माह शुरू हो जाएगा. हिंदू धर्म में कार्तिक माह को सर्वश्रेष्ठ महीना माना जाता है. श्रीहरि विष्णु के प्रिय माह कार्तिक में की पूजा-पाठ, अनुष्ठान, स्नान, दान से न सिर्फ पापों का नाश होता है बल्कि सुख-सौभाग्य और धन में भी वृद्धि होती है. आरोग्य का वरदान मिलता है. कार्तिक माह में कुछ विशेष कार्य जरूर करना चाहिए. आइए जानते हैं कार्तिक माह में क्या करें और क्या न करें.
स्कंद पुराण में कार्तिक माह की महीमा का वर्णन किया गया है- 'न कार्तिकसमो मासो न कृतेन समं युगं, न वेदं सदृशं शास्त्रं न तीर्थं गंगया समं' अर्थ - कार्तिक के समान कोई महीना नहीं है, न सतयुग के समान कोई युग, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगा के समान कोई तीर्थ नहीं
कार्तिक माह में क्या करें (Kartik Month Do's)
- कार्तिक के पूरे माह ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदी में स्नान करने का विधान है. कहते हैं इस महीने में श्रीहरि जल में निवास करते हैं. नदी में स्नान न कर सकें तो घर में ही नहाने के पानी में पवित्र नदियों का जल मिलाकर स्नान करें.
- कार्तिक महीना भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है ऐसे में पूरे महीने संध्या काल में तुलसी में घी का दीपक लगाकर पूजा करें. इससे सौभाग्य में बढ़ोत्तरी होती है.
- कार्तिक मास में भगवान विष्णु के स्वरूप माने गए भगवान शालीग्राम की पूजा करनी चाहिए. साथ ही प्रतिदिन गीता का पाठ करें. कहते हैं इससे मां लक्ष्मी बेहद प्रसन्न होती हैं साधक को धन प्राप्त होता है. इससे अक्षय पुण्य प्राप्त होगा और पाप कर्मों से मुक्ति मिलेगी.
- नि:स्वार्थ भावना से किया दान कभी खाली नहीं जाता है, लेकिन अगर कार्तिक माह में किसी गरीब या असहाय को अन्न, धन, कंबल का दान करना उत्तम है.
- कार्तिक महीने में दीपदान का विशेष महत्व है. मंदिर, नदी, तीर्थ स्थान या घर में दीप प्रज्वलित करें. कहते हैं इससे उज्जवल भविष्य की कामना पूर्ण होती है.
कार्तिक माह में क्या न करें (Kartik Month Dont's)
- कार्तिक माह में ब्रह्मचर्य का पालन करें, साथ ही अपनी इंद्रियों पर संयम रखें.
- कार्तिक चतुर्मास का आखिरी और चौथा महीना होता है, इस दौरान पलंग का त्याग कर जमीन पर सोना चाहिए. कहते हैं इससे मन में सात्विकता का भाव पैदा होते हैं और गलत विचार नहीं आते.
- तामसिक भोजन गलती से भी न खाएं. प्याज, लहसून और मांसाहर का सेवन न करें. कहते हैं इससे मां लक्ष्मी रूठ जाती हैं और ऐसे घर में देवी लक्ष्मी का वास नहीं होता.