Kartik Masik Shivratri 2021: धार्मिक ग्रंथों के अनुसार मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri 2021) और प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2021) भगवान को बेहद प्रिय है. कहते हैं कि मासिक शिवरात्रि और प्रदोष व्रत रखकर भगवान शीघ्र को जल्द प्रसन्न किया जा सकता है. इतना ही नहीं, चतुर्मास में इनका महत्व और अधिक बढ़ जाता है. कहते हैं कि भगवान विष्णु चतुर्मास (Bhagwan Vishnu) में निद्रा योग में होते हैं और पृथ्वी का कार्यभर भगवान शिव (Bhagwan Shiva Puja) के हाथों में सौंप दिया जाता है. ऐसे में इन चार महीनों में भक्त भगवान शिव और माता पार्वती (Mata Parvati Puja) की खूब पूजा-अर्चना करते हैं. ताकि भोलेशंकर को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जा सके. कहते हैं कि भगवान शिव प्रसन्न होकर भक्तों के सभी कष्ट दूर कर देते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. 


कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (Kartik Month Chaturthi) के दिन मासिक शिवरात्रि का व्रत (Masik Shivratri Vrat 2021) रखा जाएगा. इस बार 3 नवंबर 2021, बुधवार के दिन मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri, 3 November) पड़ रही है. इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और पूरे विधि-विधान के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करते हैं. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार देवी लक्ष्मी (Maa Lakshmi), इंद्राणी (Indrani), सरस्वती (Sraswati), गायत्री (Gayatri), सावित्री (Savitri), सीता (Sita) और माता पार्वती (Mata Parvati) ने भी भगवान शिव की अराधना की थी. साथ ही, शिवरात्रि व्रत  (Masik Shivratri Vrat and Pujan) और पूजन किया था. मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि के दिन पूजा के समय कुछ बातों का खास ख्याल रखना जरूरी होता है. इन नियमों का पालन करके ही व्रत सफल होता है और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है. 


मासिक शिवरात्रि के दिन न करें ये गलती (Do Not Do These Mistakes On Masik Shivratri 2021)


1. मासिक शिवरात्रि के दौरान भगवान शिव को तुलसी पत्र अर्पित न करें. इस बात का भी ध्यान रखें कि पंचामृत में भी तुलसी का भोग न लगाएं. 


2. व्रत के दौरान कुमकुम और सिंदूर भगवान शिव को अर्पित नहीं करें. इसके पीछे ये कारण है कि भोलेशंकर को विध्वंसक कहा जाता है. हालांकि, माता पार्वती को सिंदूर अर्पित किया जा सकता है. 
 
3. इसके साथ ही ध्यान रखें कि नारियल का जल शिवलिंग पर भूलकर भी अर्पित न करें. अभिषेक के समय भी नारियल का जल का इस्तेमाल न करें.  


4. भगवान शिव को शंख से जल अर्पित करने की भूल न करें. पूजा के दौरान भी शंख का इस्तेमाल न करें. धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि भगवान शिव ने त्रिशूल से दैत्य शंखचूड़ का वध किया था, जिसके बाद उसका शरीर भस्म हो गया था. इसके भस्म होने के बाद ही शंख की उत्पत्ति हुई थी. इसलिए उनकी पूजा में शंख का इस्तेमाल नहीं किया जाता.


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