Kartik Purnima 2022: कार्तिक पूर्णिमा पर मणिकर्णिका घाट पर स्नान का है खास महत्व, जानें स्नान-दीपदान का मुहूर्त
Kartik Purnima 2022 Snan and Daan: कार्तिक माह की पूर्णिमा इस बार दो दिन 7 और 8 नवंबर को मनाई जाएगी. जानते है कब किया जाएगा स्नान और कब होगा दीपदान.
Kartik Purnima 2022 Snan and Daan: कार्तिक माह की पूर्णिमा इस बार दो दिन 7 और 8 नवंबर को मनाई जाएगी. यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है. इस दिन त्रिपुरासुर के वध से प्रसन्न होकर देवताओं ने काशी में दिये जलाए थे, इसलिए इसे देव दीपावली कहा जाता है. इस बार कार्तिक पूर्णिमा दो दिन मनाई जाएगी. कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान-दान का विशेष महत्व. इस दिन मणिकर्णिका घाट पर स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. आइए जानते है कब किया जाएगा स्नान और कब होगा दीपदान.
कार्तिक पूर्णिमा पर कब होगा दीपदान ? (Kartik Purnima 2022 Deep Daan Date)
कार्तिक पूर्णिमा की तिथि 07 नवंबर 2022, रविवार को शाम 04 बजकर 15 मिनट से शुरू हो रही है. इस तिथि पर संघ्याकाल में दीपदान कर देव दिवाली मनाई जाएगी. इसी दिन चंद्रमा के दर्शन और पूजन भी किया जाएगा.
प्रदोषकाल देव दीपावली मुहूर्त - शाम 05:14 - शाम 07:49 (7 नवंबर 2022)
अवधि - 02 घण्टे 35 मिनट्स
कार्तिक पूर्णिमा का स्नान कब होगा ? (Kartik Purnima 2022 Snan Date)
कार्तिक पूर्णिमा का स्नान और दान उदयातिथि के अनुसार किया जाता है. ऐसे में 8 नवंबर 2022 को स्नान करना उत्तम रहेगा. इस दिन सूर्योदय से पूर्व गंगास्नान कर सत्य व्रत का संकल्प लें और फिर श्रीहरि की पूजा कर यथाशक्ति दान करें. पूर्णिमा की तिथि इस दिन शाम को 4 बजकर 31 मिनट पर खत्म हो रही है लेकिन क्योंकि इस दिन 8 बजे के बाद चंद्र ग्रहण का सूतक शुरू हो जाएगा. इसलिए इससे पहले ही स्नान कर लें.
कार्तिक पूर्णिमा पर मणिकर्णिका घाट पर स्नान का महत्व (Kartik Purnima Manikarnika Ghat snan importance)
कार्तिक पूर्णिमा पर वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर स्नान करना बहुत शुभ माना गया है.कहते हैं कि इसी घाट पर देवी-देवता इस दिन यहां स्नान करने आते हैं और देव दिवाली मनाई जाती है. इस घाट पर स्नान करने से मनुष्य के पाप खत्म हो जाते हैं. मान्यता है कि सबसे पहले मणिकर्णिका घाट पर भगवान विष्णु ने स्नान किया था, इसलिए बैकुंठ चौदस की रात के तीसरे प्रहर पर यहां स्नान करने से बैकुंठ की प्राप्ति होती है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यहां माता सती के कान के कुंडल गिरे थे इसलिए इसका नाम मणिकर्णिका है. यहां देवी का शक्तिपीठ भी है.
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