Kartik Purnima 2024 Live: कार्तिक पूर्णिमा पर देव दीपावली का शुभ मुहूर्त, जानें महत्वपूर्ण बातें
Kartik Purnima 2024 Highlights Live: कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान-दान का विशेष महत्व है. देव दिपावली का पर्व भी इसी दिन मानाते हैं. कार्तिक पूर्णिमा से जुड़ी सभी जानकारी यहां देखें.
कार्तिक पूर्णिमा पर देव दिवाली पूजन का मुहूर्त शुरु हो चुका है. पंचांग के अनुसार आज शाम 5 बजकर 10 मिनट से शाम 7 बजकर 47 मिनट तक रहेगा. पंडित श्रीमाली के अनुसार देव दिवाली के शुभ मुहूर्त की अवधि 2 घंटे 37 मिनट तक रहेगी.
देव दिवाली के पूजन और दीए जलाने के लिए धार्मिक नगर काशी में तैयारी पूरी हो चुकी हैं. कुछ ही देर बाद पर्व की शुरुआत हो जाएगी. शुक्रवार की भोर से ही गंगा स्नान के लिए लोगों की भीड़ घाटों पर देखी गई थी. आज गंगा स्नान के बाद लोगों ने दान-पुण्य किया और मां गंगा की भव्य आरती में भाग लिया. काशी के घाटों पर लोगों की भीड़ अभी बनी हुई है.
देव दिवाली पर ऐसा कहा जाता है कि इस दिन देवता स्वर्ग लोक से उतर कर पृथ्वी लोक पर आते हैं और अपने भक्तों के कष्टों के दूर करते हैं, आज के दिन दिवाली की तरह घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाते हैं. उत्तर प्रदेश (UP) के वाराणसी में इस दिन गंगा घाट के किनारे विशेष पूजा अर्चना होती है और दीप दान करते हैं.
हिंदू धर्म में आज का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है. पौराणिक कथाओं के अनुसार आज के ही दिन भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था. ये राक्षस बहुत महाबलशाली था. सभी इसके आतंक से परेशान थे. भगवान शिव ने देवताओं को इस दानव के अत्यानचारों से मुक्ति दिलाई. इसके बाद से ही देवताओं ने खुश होकर भगवान शिव को त्रिपुरारी कहना आरंभ कर दिया.
आज कार्तिक पूर्णिमा पर दान का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन दान करने से दस यज्ञों के बराबर पुण्य मिलता है. आज आपक अन्न, वस्त्र और धन आदि का दान कर सकते हैं. इस दिन गरीबों को अच्छा भोजन भी कराना चाहिए, इससे भी लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त होती है.
कार्तिक पूर्णिमा पर आज शालिग्राम के साथ ही तुलसी की पूजा का भी विधान बताया गया है. आज तुलसी पूजन का विशेष धार्मिक महत्व है. इस आज के दिन लोग तीर्थ यात्रा को भी महत्व देते हैं. गंगा पूजा, विष्णु पूजा, लक्ष्मी पूजा और यज्ञ और हवन का आज के दिन विशेष पुण्य मिलता है. कहते हैं कि आज तुलसी के सामने दीपक जरूर जलाने से सभी दुखों का नाश होता है. दरिद्रता दूर करने के लिए ये उपाय बहुत ही कारगर बताया गया है.
Dev Diwali: शास्त्रों के अनुसार देव दिवाली को अवसर पर देवतागण गंगा नदी के घाट पर आकर दीप जलाकर प्रसन्न होते हैं. शास्त्रों की मानें तो इस दिन दीपदान का बहुत अधिक महत्व है. यही कारण है कि हिंदू धर्म में इसे पर्व के तौर पर मनाया जाता है. पौराणिक मान्यता है कि देव दिवाली पर नदी और तालाब में दीपदान करने से सभी तरह के संकट समाप्त हो जाते हैं और कर्ज से भी मुक्ति मिलती है. आज के दिन दिन घर के मुख्यद्वार पर आम के पत्तों से बनाया हुआ तोरण जरूर बांधे और दिवाली की ही दीपक जलाएं.
ज्योतिषाचार्य डॉक्टर अनीष व्यास के अनुसार आज शाम 5 बजकर 10 मिनट से शाम 7 बजकर 47 मिनट पर प्रदोष काल रहेगा. इस मुहूर्त में पूजा का उत्तम संयोग बना हुआ है. इस शुभ मुहूर्त में पूजा करने से सभी मनोकामानएं पूर्ण होती हैं.
कार्तिक पूर्णिमा पर चंद्रमा और मंगल का राशि परिवर्तन योग बना है. आज पूर्णिमा की रात गजकेसरी राजयोग इस दिन के महत्व को बढ़ा रहा है. इस दिन बुधादित्य राजयोग बना हुआ है. साथ ही 30 साल बाद शश राजयोग बना है. कार्तिक पूर्णिमा पर जो भी आप उपाय और दान पुण्य के कार्य करेंगे तो उसका 100 गुना अधिक फल मिलेगा.
ऊं सूर्याय नम:
ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम:
ऊं श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:
ऊं श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं
कार्तिक पूर्णिमा पर धन प्राप्ति के लिए पीपल के पड़े की पूजा करना चाहिए, मान्यता है पीपल में विष्णु और मां लक्ष्मी का वास होता है. पीपल की पूजा करने वालों को धन की कमी नहीं होती. पितरों का भी आशीर्वाद मिलता है.
कार्तिक पूर्णिमा का शुभ दिन मेष, कन्या, तुला, सिंह राशि वालों के लिए बेहद फलदायी साबित होगा. मेष वालों के कार्य में आ रही रुकावट दूर होगी, धन आगमन होगा. कन्या राशि वालों के पद और पैसों में बढ़ोत्तरी के योग हैं. तुला राशि के लोगों को आय का नया जरिया मिलेगा, जिससे आर्थिक स्थिति बेहतर होगी.
कार्तिक पूर्णिमा पर गजकेसरी योग, बुधादित्य योग, वरीयान योग का निर्माण हो रहा है, साथ ही इस दिन 30 साल बाद शश महापुरुष राजयोग बन रहा है. ऐसे में इस दिन दान-स्नान और लक्ष्मी पूजन करने वालों को 100 अश्वमेघ यज्ञ के समान फल प्राप्त हो सकता है.
मेष राशि - खीर
वृषभ राशि - दूध, दही
मिथुन राशि - पौधा
कर्क राशि - नारियल
सिंह राशि - तिल-गुड़
कन्या राशि - शिक्षा सामग्री
तुला राशि - घी
वृश्चिक राशि - लाल फूल
धनु राशि - चने की दाल
मकर और कुंभ राशि - सरसों तेल
मीन राशि - मौसमी फल
कार्तिक पूर्णिमा यानी देव दिवाली पर 8 मुखी घी का दीपक शिव जी की पूजा में जलाएं. साथ ही घर और आंगन में 11 या 21 दीपक जलाना चाहिए. साथ ही नदी में दीपदान भी करें.
- कार्तिक पूर्णिमा पर सूर्योदय से पहले पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें.
- सूर्य को जल अर्पित करें, फिर सत्यनारायण भगवान की कथा करें.
- शाम को चंद्रमा को दूध और जल से अर्घ्य दें.
- रात में लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए घी का दीपक लगाकर श्रीसूक्त का पाठ करें.
कार्तिक पूर्णिमा पर अन्न, धन, वस्त्र, काले तिल, घी, दूध, दही, चावल आदि का दान करना चाहिए. मान्यता है इससे लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त होती है. जीवन में सुख-समृद्धि आती है.
मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर किए स्नान से सौ अश्वमेध यज्ञ कराने जितना पुण्यफल प्राप्त होता है. कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान करते समय तभी तीर्थों का ध्यान करें और स्नान के बाद सबसे पहले सूर्य को अर्घ्य दें.
कार्तिक पूर्णिमा तिथि 15 नवंबर 2024 को सुबह 06 बजकर 19 मिनट से शुरू होगी और 16 नवंबर 2024 को सुबह 02 बजकर 58 मिनट पर इसका समापन होगा.
स्नान-दान मुहूर्त - सुबह 04.58 - सुबह 5.51
सत्यनारायण पूजा - सुबह 06.44 - सुबह 10.45
प्रदोषकाल देव दीपावली मुहूर्त - शाम 05:10 - रात 07:47
चंद्रोदय समय - शाम 04.51
लक्ष्मी पूजन - रात 11.39 - प्रात: 12.33, 16 नवंबर
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Kartik Purnima 2024 Highlights: 15 नवंबर 2024 को कार्तिक माह का आखिरी दिन यानी कार्तिक पूर्णिमा है. पूर्णिमा को हिंदू धर्म में त्योहार के रूप में मनाया जाता है. मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर देव पृथ्वी पर गंगा स्नान करते हैं और शाम को नदी-सरोवर में दीपदान कर दिवाली मनाई जाती है.
यही वजह है कि कार्तिक पूर्णिमा को देव दिवाली भी कहते हैं. माना जाता है कि इस पर्व पर किए गए धर्म-कर्म से अक्षय पुण्य मिलता है, इसका असर जीवनभर रहता है.
कार्तिक पूर्णिमा का शिव से संबंध
कार्तिक मास की पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान की पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन को त्रिपुरी पूर्णिमा इसलिए कहते है क्योंकि आज के दिन ही भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नामक असुर का अंत किया था, जिसको लेकर देवतागण प्रसन्न हुए थे. जिसकी खुशी में देवताओं ने शिवलोक यानि काशी में आकर दीवाली मनाई थी. तभी से ये परंपरा चली आ रही हैं.
देव दिवाली का महत्व
कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान विष्णु मत्स्य अवतार में नदी में वास करते हैं. माना जाता है कि कार्तिक मास पूर्णिमा तिथि के दिन काशी में गंगा स्नान कर दीप दान करने से पूर्वजों को मुक्ति मिलती है. साथ ही पितृ दोष से मुक्ति मिलती है. इस दिन घर में सत्यनारायण कथा करने वालों को देवी लक्ष्मी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है.
काशी में महीने भर चलने वाला आकाशदीप उत्सव भी इसी दिन समाप्त होता है. इस दिन महीने भर चलने वाले कार्तिक स्नान का समापन होता है.
कार्तिक पूर्णिमा पर कैसे करें गंगा स्नान
हरिद्वार में हरि की पौड़ी और बनारस के गंगा घाट पर पवित्र स्नान करना अत्यधिक पवित्र और शुभ माना जाता है, इसलिए इस दिन गंगा स्नान जरूर करना चाहिए. अगर आप गंगा स्नान नहीं कर सकते हैं तो घर में पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें. कुछ लोग इस दिन तुलसी विवाह अनुष्ठान भी करते हैं.
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