Karva Chauth 2020: सुहागिन स्त्रियों के लिए पतिव्रता होनो एक श्रेष्ठ गुण माना गया है. हिंदू धर्म में ऐसा माना जाता है सभ्य समाज की स्थापना के लिए स्त्रियों का पतिव्रता होना बहुत ही जरूरी है. करवा चौथ के अवसर पर आज हम चर्चा करेंगे पतिव्रता के लिए विख्यात स्त्रियों के बारे में-


अनुसूया: जब भी बात पतिव्रता स्त्रियों की आती है तो इसमें सबसे पहला नाम अनुसूया का आता है. एक कथा के अनुसार एक बार सर्वश्रेष्ठ पतिव्रता को लेकर मां सरस्वती, मां लक्ष्मी और मां दुर्गा में बहस आरंभ हो गई. लेकिन काफी विचार और विर्मश के बाद ये तय यही हुआ कि अनुसूया ही श्रेष्ठ पतिव्रता हैं. क्योंकि भगवान शिव ने स्वयं इसकी परीक्षा ली थी.


द्रौपदी: महाभारत की कथा में द्रौपदी को एक श्रेष्ठ स्त्री माना गया है. पांडवों की पत्नी द्रौपदी को सती और पांच कुंवारी कन्याओं में भी स्थान दिया गया है. द्रोपदी पांचाल देश की रहने वाली थीं. द्रोपदी के पिता का नाम राजा ध्रुपद थे, जो पांचाल देश पर राज्य करते थे. द्रापदी का विवाह एक स्वयंवर में अर्जुन से हुआ था, जब वे द्रौपदी को लेकर अर्जुन मां के पास पहुंचे तो उन्होने बिना देखे ही आपस में बांट लेने के लिए कहा. सत्यता जानने पर मां कुंती को बहुत दुख हुआ. लेकिन मां की बात को सत्य सिद्ध करने के लिए द्रौपदी ने पांचों पांडवों को पति के रूप में स्वीकार कर लिया.


सुलक्षणा: सुलक्षणा रावण के पुत्र मेघनाद की पत्नी थी. मेघनाद को इंद्रजीत भी कहा जाता है. रामायण की कथा के मुताबिक जब राम और रावण का भयंकर युद्ध आरंभ हुआ तो रावण ने मेघनाद को रणभूमि में उतार दिया. राम की शक्ति से मेघनाद की पत्नी सुलक्षणा परिचित थी, इसलिए उसने मेघनाद को रणभूमि में जाने से रोकना चाहा, लेकिन मेघनाद नहीं माना. युद्ध में मेघनाद को मृत्यु प्राप्त हुई. इसके बाद सुलक्षणा भी सती हो गईं.


सावित्री: सावित्री राजर्षि अश्वपति की पुत्री थी. सावित्री के पति का नाम सत्यवान था. सत्यवान राजा द्युमत्सेन के पुत्र थे. एक कथा के अनुसार सत्यवान की मृत्यु हो गई तो सावित्री ने कठोर तपस्या के बल पर सत्यवान को पुनर्जीवित कर लिया था. जिस कारण सावित्री को पतिव्रता कहा जाता है.


मंदोदरी: लंकापति रावण की पत्नी का नाम मंदोदरी था. रावण की धर्मपत्नी होने के बाद भी मंदोदरी बेहत पवित्र और महान स्त्री थी. मंदोदरी ने हमेशा रावण के गलत कार्यों के लिए रोका, लेकिन रावण ने मंदोदरी की बात को कभी नही माना. इसके बाद भी मंदोदरी ने पतिव्रता के नियमों का पूरा पालन किया. मंदोदरी को विद्वान स्त्री माना गया है.


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