करवा चौथ का त्योहार 4 नवंबर, बुधवार को मनाया जाएगा. इस दिन विवाहित महिलाएं पति की दीर्घायु और उनके स्वस्थ्य जीवन के लिए व्रत रखती हैं. करवा चौथ हर साल यह व्रत कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन पड़ता है. यह पर्व पति-पत्नी के पावन रिश्ते को अधिक मजबूत करने वाला त्योहार है.
करवा चौथ के व्रत में कई नियमों का पालन करना आवश्यक होता है. हम आपको बता रहे हैं कि इस व्रत में किन नियमों का पालन किया जाता है.
- सूर्योदय होने से पहले करवा चौथ का व्रत शुरू और चांद निकलने तक रखा जाता है.
- चंद्र देव के दर्शन होने के बाद ही यह व्रत खोला जाता है.
- चंद्रोदय से करीब एक घंटा पहले शाम के समय संपूर्ण शिव-परिवार (शिव जी, पार्वती जी, नंदी जी, गणेश जी और कार्तिकेय जी) की पूजा की जाती है.
- शिव परिवार की पूजा करते वक्त व्रती को पूर्व की ओर मुख करके बैठना चाहिए.
- विवाहित महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं. पत्नी के चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद पति को छलनी में दीपक रख कर देखा जाता है. इसके बाद पति जल पिलाकर पत्नी के व्रत को तोड़ता है.
- हालांकि यह व्रत विवाहित महिलाएं रखती हैं लेकिन मान्यता के अनुसार इस व्रत को वह लड़कियां भी करती हैं, जिनकी शादी की उम्र हो चुकी है या शादी होने वाली है. अविवाहित युवतियां मनोवांछित पति पाने के लिए या अगर उनकी शादी तय हो गई हैं तो होने वाले पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं
- चंद्र देव की पूजा से वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है और पति की आयु भी लंबी होती है. चंद्रमा को आयु, सुख और शांति का कारक माना गया है.
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