Karwa Chauth 2023 Date: करवा चौथ व्रत साल 2023 में कब? यहां जानें सही डेट और मुहूर्त
Karwa Chauth 2023 Date: हर साल शादीशुदा स्त्रियां करवा चौथ व्रत का बेसब्री से इंतजार करती है. आइए जानते हैं साल 2023 में करवा चौथ का त्योहार कब मनाया जाएगा.
Karwa Chauth 2023: सुहागिनों का सबसे अहम व्रत करवा चौथ हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. विवाहित महिलाओं के लिए ये व्रत अधिक महत्व रखता है. करवा चौथ व्रत में सुहागिनें पति की दीर्धायु, सुखी दांपत्य जीवन के लिए सूर्योदय से चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखती हैं. मान्यता है कि इस दिन शिव परिवार और करवा माता की पूजा करने से अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है. करवा चौथ में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है. हर साल शादीशुदा स्त्रियां इस व्रत का बेसब्री से इंतजार करती है. आइए जानते हैं साल 2023 में करवा चौथ का त्योहार कब मनाया जाएगा.
करवा चौथ 2023 तारीख (Karwa Chauth 2022 Date)
साल 2023 में करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर 2023, बुधवार के दिन रखा जाएगा. करवा चौथ व्रत में भगवान गणेश की भी पूजा होती है. इस दिन बुधवार है. चतुर्थी तिथि और बुधवार दोनों ही गौरी पुत्र गणेश को प्रिय है. ऐसे में इस साल सुहागिन व्रती को पूजा का दोगुना फल प्राप्त होगा.
करवा चौथ 2023 मुहूर्त (Karwa Chauth 2022 Muhurat)
पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 31 अक्टूबर 2023 को रात 09 बजकर 30 मिनट पर आरंभ हो रही है. चतुर्थी तिथि की समाप्ति 1 नवंबर 2023 को 09 बजकर 19 मिनट पर होगी.
- करवा चौथ व्रत समय - सुबह 06:36 - रात 08:26
- करवा चौथ पूजा मुहूर्त - शाम 05.44 - रात 07.02, अवधि - 01 घण्टा 17 मिनट
- चांद निकलने का समय - रात 08:26 (1 नवंबर 2023)
करवा चौथ व्रत महत्व (Karwa Chauth Vrat Importance)
करवा चौथ दो शब्द से मिलकर बना है पहला करवा यानी मिट्टी का बर्तन और चौथ यानी चतुर्थी. करवा चौथ व्रत में करवा का विशेष महत्व है. इस दिन चांद का दीदार करते हुए करवा से ही चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है. कहते हैं इसके बिना व्रत अधूरा माना जाता है. पौराणिक मान्यता है कि करवा चौथ व्रत रखने की परंपरा महाभारत काल से चली आ रही है. जब पांडवों पर संकट के बादल मंडराए थे तो श्रीकृष्ण के कहे अनुसार द्रोपदी ने करवा चौथ का व्रत पूजन किया था. जिसके प्रभाव से पांडवों पर आई विपदा टल गई थी. मान्यता है जो सुहागिन स्त्री इस दिन अन्न-जल का त्याग कर व्रत रखती हैं उसके सुहाग पर कभी कोई आंच नहीं आती.
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