Karwa Chauth 2024: करवा चौथ पर चंद्रमा की किरणें सीधे नहीं देखी जाती हैं
Karwa Chauth 2024: करवा चौथ का पर्व 20 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा. सुहागिन स्त्रियों के लिए ये पर्व विशेष है. इस दिन का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व जानते हैं.
Karwa Chauth 2024: करवा चौथ को लेकर मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणें सीधे नहीं देखी जाती हैं, उसके मध्य किसी पात्र या छलनी द्वारा देखने की परंपरा है क्योंकि चंद्रमा की किरणें अपनी कलाओं में विशेष प्रभावी रहती हैं. जो लोक परंपरा में चंद्रमा के साथ पति-पत्नी के संबंध को उजास से भर देती हैं. चूंकि चंद्र के तुल्य ही पति को भी माना गया है, इसलिए चंद्रमा को देखने के बाद तुरंत उसी छलनी से पति को देखा जाता है. इसका एक और कारण बताया जाता है कि चंद्रमा को भी नजर न लगे और पति-पत्नी के संबंध में भी मधुरता बनी रहे.
करवा चौथ की पूजन सामग्री (Karwa Chauth Puja Samagri)
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा के अनुसार करवा चौथ के व्रत से एक-दो दिन पहले ही सारी पूजन सामग्री को इकट्ठा करके घर के मंदिर में रख दें. पूजन सामग्री इस प्रकार है- मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, पानी का लोटा, गंगाजल, दीपक, रूई, अगरबत्ती, चंदन, कुमकुम, रोली, अक्षत, फूल, कच्चा दूध, दही, देसी घी, शहद, चीनी, हल्दी, चावल, मिठाई, चीनी का बूरा, मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ और दक्षिणा के पैसे.
करवा चौथे की पूजा विधि (Karwa Chauth Puja Vidhi)
करवा चौथ पर दिनभर व्रत रखा जाता है और रात में चंद्रमा की पूजा की जाती है. इसके लिए पूजा-स्थल को खड़िया मिट्टी से सजाया जाता है और पार्वती की प्रतिमा की भी स्थापना की जाती है. पारंपरिक तौर पर पूजा की जाती है और करवा चौथ की कथा सुनाई जाती है. करवा चौथ का व्रत चांद देखकर खोला जाता है, उस मौके पर पति भी साथ होता है. दीए जलाकर पूजा की शुरुआत की जाती है.
करवा चौथ की पूजा में जल से भरा मिट्टी का टोंटीदार कुल्हड़ यानी करवा, ऊपर दीपक पर रखी विशेष वस्तुएं, श्रंगार की सभी नई वस्तुएं जरूरी होती है. पूजा की थाली में रोली, चावल, धूप, दीप, फूल के साथ दूब अवश्य रहती है. शिव, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय की मिट्टी की मूर्तियों को भी पाट पर दूब में बिठाते हैं. बालू या सफेद मिट्टी की वेदी बनाकर भी सभी देवताओं को विराजित करने का विधान है. अब तो घरों में चांदी के शिव-पार्वती पूजा के लिए रख लिए जाते हैं. थाली को सजाकर चांद को अर्घ्य दिया जाता है. फिर पति के हाथों से मीठा पानी पीकर दिन भर का व्रत खोला जाता है. उसके बाद परिवार सहित खाना होता है.
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