Karwa Chauth 2024: सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए हर साल करवा चौथ का व्रत रखती हैं. कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है.
इस बार रविवार यानी 20 अक्टूबर को है. करवा चौथ के मौके पर सुहागिन महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र के लिए दिन भर निर्जला उपवास रखती हैं. यह व्रत अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है.
सरगी खाने का समय (Karwa chauth Sargi time) - करवा चौथ पर ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:44 से लेकर सुबह 5:35 तक रहेगा. इस दौरान सुहागिन महिलाएं सरगी खा सकती हैं.
पूजा का समय (Karwa chauth puja time) - पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:40 से शाम 7:02 तक रहेगा.
कितने बजे होगा चांद का दीदार ? (Karwa chauth 2024 moon rise time in shimla)
शिमला में आस्था के केंद्र राधा कृष्ण मंदिर के पुजारी पंडित उमेश नौटियाल ने बताया कि शिमला में करवा चौथ पर शाम 7:45 पर चांद का दीदार होगा. शहरों के मुताबिक चांद दिखने के समय में थोड़ा अंतर हो सकता है. चांद देखने के बाद महिलाएं अपना व्रत खोलेंगी. करवा चौथ पर इस बार चतुर्थी तिथि क्षय है.
कार्तिक कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि 19 अक्टूबर शनिवार को सुबह 9:48 पर शुरू होगी और 20 अक्टूबर को रविवार सुबह 6:45 तक रहेगी. रविवार को सुबह 6:46 से चतुर्थी तिथि शुरू हो जाएगी, जो अगले दिन सुबह तक जारी रहेगी. सूर्योदय के बाद चतुर्थी तिथि लगने से क्षय मानी जाती है. हालांकि इसका व्रत पर किसी तरह का कोई प्रभाव नहीं होता.
व्रत के दौरान दिनभर क्या करती हैं महिलाएं ?
करवा चौथ का व्रत रखने वाली सुहागिन महिलाएं शाम को कथा पढ़ती और सुनती हैं. यह कथा करवा नमक एक पतिव्रता महिला को समर्पित है. इस कथा में पति की जान बचाने के लिए करवा ने चंद्रदेव को प्रसन्न किया था. माना जाता है कि इस कथा को सुनने से व्रत का फल मिलता है. हर साल करवा चौथ के मौके पर सुहागिन महिलाएं यह कथा सुनती हैं.
महिलाएं दिनभर भजन-कीर्तन भी करती हैं. करवा चौथ के मौके पर महिलाएं पूरा दिन एक-दूसरे के साथ ही गुजरती हैं. करवा चौथ के मौके पर हर साल हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों में महिलाओं के लिए मुफ्त सफर की सुविधा भी होगी. यह सुविधा सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक रहेगी.
क्या है व्रत रखने के पीछे की कहानी?
करवा चौथ का व्रत अपने पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है. माना जाता है कि जब देवताओं और राक्षसों के बीच युद्ध चल रहा था, तो राक्षस लगातार देवताओं पर भारी पड़ रहे थे. ऐसे में देवताओं की धर्मपत्नी अपने सुहाग को लेकर चिंतित हो गईं. एक देवता की पत्नी ने ब्रह्मा जी के पास जाने की बात कही, तो सभी देवताओं की धर्मपत्नी सृष्टि रचयिता ब्रह्मा जी के पास पहुंच गई. यहां ब्रह्मा जी ने उन्हें निर्जल व्रत रखने का सुझाव दिया.
इसके बाद देवताओं की धर्मपत्नियों ने यह व्रत रखा और देवताओं की रक्षा हुई. इसके बाद करवा चौथ व्रत रखने की परंपरा चली आ रही है. इस दौरान महिलाएं भगवान गणेश के साथ शिव-पार्वती और चंद्र देव की पूजा करती हैं. स्थानीय मंदिरों में भी भजन-कीर्तन किया जाता है और महिलाएं एकत्रित होकर धार्मिक माहौल के बीच अपना पूरा दिन व्यतीत करती हैं. कथा सुनने के बाद महिलाएं वापस अपने घर लौटी हैं और चांद का दीदार होने के बाद ही अपना व्रत खोलती हैं.
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