सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्। उज्जयिन्यां महाकालमोंकारं परमेश्वरम्।।
केदारं हिमवत्पृष्ठे डाकियां भीमशंकरम्। वाराणस्यांच विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।।
वैद्यनाथं चिताभूमौ नागेशं दारूकावने। सेतूबन्धे च रामेशं घुश्मेशंच शिवालये।।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरूत्थाय य: पठेत्। सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति।।
यं यं काममपेक्ष्यैव पठिष्यन्ति नरोत्तमा:। तस्य तस्य फलप्राप्तिर्भविष्यति न संशय:।।
Shri Kashi Vishwanath Temple: इस श्लोक की मान्यता द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तुति मंत्र के रूप में की जाती है. प्रबल मान्यता है इस श्लोक का पाठ करने से भी वही पुण्य प्राप्त होता है जो ज्योतिर्लिंग के दर्शन से प्राप्त होता है. पवित्र सावन मास चल रहा है. 18 जुलाई को महाशिवरात्रि का पावन पर्व है. सावन मास में ज्योतिर्लिंग का स्मरण करने और भगवान शिव की पूजा करने से कई गुणा पुण्य प्राप्त होता है. देश भर में भगवान भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंग मौजूद हैं. मान्यता है कि ये सभी ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के प्रिय स्थान और निवास स्थान हैं. इसलिए सावन मास में इनकी स्तुति और दर्शन करना श्रेष्ठ माना गया है.
काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव का प्रसिद्ध और सातवां ज्योतिर्लिंग हैं. काशी को मोक्ष की नगरी कहा जाता है. यहां पर भगवान शिव स्वयं विराजते हैं. धर्म और आस्था का एक प्रमुख केंद्र है. काशी नगरी देश की प्राचीन नगरी में से एक हैं. इस ज्योतिर्लिंग की महीमा और महामात्य अपार है. मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते हैं, सच्चे मन और विधि पूर्वक जो भी शिव जी की उपासना करता है उसे पुण्य फल अवश्य प्रदान करते हैं.
प्रलय आने पर शिव जी ऐसे करते हैं रक्षा
मान्यता है कि प्रलय आने पर भी काशी का लोप नहीं होता है. कहते है कि प्रलय के समय भोलेनाथ काशी को अपने त्रिशूल पर धारण कर लेते हैं. इस प्रकार से काशी की सुरक्षा होती है और प्रलय शांत होने पर भगवान शिव काशी को नीचे उतार देते हैं. भगवान शिव काशी के कण कण में विराजमान हैं. यहां की संस्कृति और परंपराओं में शिव के विराट व्यक्तित्व की झलक दिखाई देती है. भगवान विष्णु ने काशी में तपस्या करके भगवान शिव को प्रसन्न किया था.
भगवान शिव देते हैं तारक मंत्र
पौराणिक कथा के अनुसार काशी में प्राण त्यागने मात्र से ही मोक्ष प्राप्त हो जाता है. यह भी कहा जाता है कि भगवान शंकर स्वयं मरते हुए व्यक्ति के कानों में तारक मंत्र का उपदेश सुनाते हैं. मतस्य पुराण में भी इसका वर्णन किया गया है.
शिव-पार्वती का पावन स्थान
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिं मंदिर वाराणसी में गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है. भगवान शिव और माता पार्वती का यह प्रिय स्थान है. यहां भगवान के दर्शन करने से पहले भैरव के दर्शन करने होते हैं, कहा जाता है कि भैरव जी के दर्शन करने के बाद ही विश्वनाथ के दर्शन का लाभ मिलता है.