Kedarnath Yatra 2023: केदारनाथ धाम के खुले कपाट, जानें भक्त किस समय कर पाएंगे दर्शन
Kedarnath Yatra 2023: केदारनाथ धाम के कपाट 25 अप्रैल 2023 को खुलेंगे. केदारनाथ के दर्शन के लिए श्रद्धालू हर साल बड़ी तादात में आते हैं. जानते हैं केदारनाथ धाम के पट खुलने का समय और इससे जुड़ी जानकारी
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Kedarnath Yatra 2023: शिवपुराण में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग का उल्लेख मिलता है, जहां शिव स्वंय प्रकट हुए थे. इन्हीं में से एक है केदारनाथ धाम. उत्तराखंड में हिमालय पर्वत की गोद में स्थित केदारनाथ धाम के कपाट 25 अप्रैल 2023 को खुलेंगे. छह माह बाद बाबा केदारनाथ के दर्शन के लिए श्रद्धालू हर साल बड़ी तादात में आते हैं. आइए जानते हैं केदारनाथ धाम के पट खुलने का समय और इससे जुड़ी जानकारी
केदारनाथ यात्रा 2023 कपाट खुलने का समय
पिछले साल 27 अक्टूबर 2022 को बंद हुए केदारनाथ धाम के पट 25 अप्रैल 2023 को मेघ लग्न में सुबह 06 बजकर 20 मिनट पर खुलेंगे. इसी दिन से चारधाम यात्रा अगले 6 महीने तक चलेगी.
6 महीने ही होते हैं केदारनाथ के दर्शन
केदारनाथ धान बारह ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ ही चार धाम और पंच केदार में से भी एक है. मान्यता है कि यहां शीतकाल ऋतु में जब 6 महीने के लिए मंदिर के कपाट बंद होते हैं तो पुजारी मंदिर में एक दीपक जलाते हैं. आश्चर्य की बात ये है कि कड़ाके की ठंड में भी ये ज्योत ज्यो की त्यों रहती हैऔर 6 महीने बाद जब यह मंदिर खोला जाता है तब यह दीपक जलता हुआ मिलता है. हर साल भैरव बाबा की पूजा के बाद ही मंदिर के कपाट बंद और खोले जाते हैं. कहते है कि मंदिर के पट बंद होने पर भगवान भैरव इस मंदिर की रक्षा करते हैं.
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा (Kedarnath Jyotirlinga katha)
- पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत युद्ध में पांडवों ने विजय प्राप्त कर अपने भाईयों की हत्या के पाप से मुक्ति पाना चाहते थे.
- पाप का प्राश्चित करने के लिए वह कैलाश पर्वत पर महादेव के पास पहुंचे लेकिन शिव ने उन्हें दर्शन नहीं दिए और अंतर्ध्यान हो गए. पांडवों ने हार नहीं मानी और शिव की खोज में केदार पहुंच गए.
- पांडवों के आने की भनक लगते ही भोलेनाथ ने बैल का रूप धारण कर लिया और पशुओं के झुंड में मिल गए.
- पांडव शिव को पहचान न पाए लेकिन फिर भीम ने अपना विशाल रूप ले लिया और अपने पैर दो पहाड़ों पर फैला दिए. सभी पशु भीम के पैर से निकल गए लेकिन बैल के रूप में महादेव ये देखकर दोबारा अंतरध्यान होने लगे तभी भीम ने उन्हें पकड़ लिया.
- पांडवों की भक्ति देखकर शिव प्रसन्न हुए और उन्हें दर्शन देकर सभी पापों से मुक्त कर दिया. तब से ही यहां बैल की पीठ की आकृति पिंड के रूप में शिव को पूजा जाता है.
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