Chanakya Niti:  आचार्य चाणक्य मानते थे कि व्यक्ति की सफलता परिश्रम और संकल्प की दिशा से तय होती है, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण बातें ऐसी भी हैं जो व्यक्ति से जुड़ जाएं या व्यक्ति इनके संपर्क में आए तो व्यक्ति खुद को असहाय, लज्जित और पीड़ा से भरा महसूस करता है. यही मनोदशा उसके शरीर को भीतर से जला देती हैं. इन परिस्थितियों से निकलने के लिए पूरे जतन की जरूरत होती है. 


पत्नी वियोग : सामंजस्य की कमी या मृत्युवश पत्नी वियोग आपके लिए नुकसानदेह हो सकता है. संबंधों में सुधारते हुए या नए संबंधों से जुड़ना ही सफल निदान है.


अपनों से बेइज्जत होना : भले ही आप परिवार के छोटे सदस्य हों, कार्यस्थल पर कनिष्ठ हो, अपनों से बेइज्जती मन व्यथित बनाती है. आत्मसम्मान-निर्णय की स्थिति मजबूत बनाएं.


बचा ऋण: जीवन में बड़े कार्य के लिए संस्था, साहूकार या व्यक्ति से ऋण लेना पड़ सकता है, उसे चुकाने के प्रयास में कमी कष्टकारी है. ठोस कार्ययोजना से ही यह दूर हो सकेगा.


दुष्ट राजा या वरिष्ठ की सेवा: यह ऐसी मनोदशा है, जिससे व्यक्ति स्वयं सुनिश्चित नहीं कर सकता, मगर निदान के लिए बुद्धि, विवेक और संयम सक्षम कारगर हथियार हैं.


गरीबी या दरिद्रता: अपनी सभी जरूरत पूरी करना अधिकांश के लिए संभव नहीं है, लेकिन संकल्प भाव से प्रयास जरूर लाभकारी हैं. ऐसे समाज में बने रहना भी प्रगति में बाधक है.


ऐसे मित्रों पर विश्वास विनाशकारी
आचार्य चाणक्य कहते हैं विश्वास नीति आपकी सफलता का द्योतक है, लेकिन यह उन परिस्थिति या व्यक्ति पर निश्चित है जो आपके साथ हो. आचार्य के मुताबिक एक बुरे व्यक्ति या मित्र पर कभी विश्वास न करें, यह अनंत सत्य है, परंतु एक अच्छे मित्र पर भी आगाध विश्वास नहीं करना चाहिए. यदि वह आप से रुष्ट हुआ तो आपके सभी राज से पर्दा हटा देगा.