Vastu Tips : बेड यानी शय्या का जीवन में विशेष महत्व है. जीवन का दो तिहाई हिस्सा अकसर शयनकक्ष में ही बीतता है. योगशास्त्र में भी निद्रा की अवधि और अवस्था पर विशेष ध्यान दिया गया है. जागृत, स्वप्न, सुषुप्ति व तुरीय यह चार अवस्थाएं बताई गई हैं इसलिए निद्रा जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, व्यक्ति का लगभग आधा जीवन तो निद्रा में ही बीत जाता है. बिस्तर और मनुष्य का चोली दामन का साथ है. 


जन्म से लेकर मृत्यु तक आदमी के साथ शय्या जुड़ी हुई है. यदि नींद अच्छी आएगी तो स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा. नींद का अच्छा आना आपके बेड से जुड़ी बात है. वास्तु ग्रंथों में सोने की दिशा से लेकर बेड को अत्यंत वैज्ञानिक तरीके से निरूपित किया गया है. व्यक्ति को दक्षिण की ओर सिर करके सोना चाहिए. पुराने जमाने में लकड़ी के बेड का ही प्रयोग किया जाता है. सामान्य रूप से चारपाई यानी खटिया का ही प्रयोग होता रहा है. इसी का इंप्रूव रूप तख्त होता था. शाही परिवार ही सुसज्जित शय्या यानी खटोला का प्रयोग करते थे. 


वास्तु ग्रंथों में बेड के निर्माण में किस लकड़ी का प्रयोग किया जाए, यह किस माप का हो, किस बेड पर किस प्रकार सोना चाहिए ? यह सभी बातें बहुत ही महत्वपूर्ण हैं, किंतु बदलते युग ने शय्या के वास्तु शास्त्रीय महत्व में न्यूनता आ गई है. आज कल तो लोहे के बेड भी मार्केट में उपलब्ध हैं. लकड़ी से ज्यादा मेटल के बेड लोग लेने लगे हैं, जो कि शास्त्रोक्त नहीं है. पहले घरों में खटिया और संदूक अलग-अलग होते थे, लेकिन समय बदला जगह कम हुई तो अब बेड में ही संदूक आ गया है यानी स्टोरेज बेड हो गए हैं. अब निंद्रा लेते समय संदूक में रखा सामान भी अप्रत्यक्ष रूप से चित्त पर असर डालने लगा. 


लोगों ने जूते, चप्पल, वर्तमान समय की अनुपयोगी वस्तुओं को भी रखने का स्थान बना लिया. इलेक्ट्रॉनिक सामान रखने लगे आदि आदि… बर्तन, इलेक्ट्रिकल व इलेक्ट्रॉनिक सामान, धारदार चीजें, अशुद्ध चीजें, खाने का सामान आदि नहीं रखना चाहिए. ऐसा करने से आकस्मिक एवं असाध्य रोग होते हैं. इसमें केवल रजाई गद्दा तकिया.. बेड में ही उपयोग में आने वाला सामान रखना चाहिए. वास्तु बेड बनाने में सोलह वर्ष से लेकर एक सौ पचास वर्ष की आयु के वृक्ष की लकड़ी का उपयोग उत्तम माना गया है, शीशम की लकड़ी की आयु तीन सौ साल मानी जाती है. बबूल और इमली की लकड़ी में भूत-प्रेत का वास माना जाता है. इस लकड़ी से बने पलंग पर सोने से प्रेत-बाधा, मानसिक अशांति, उद्वेग आदि से व्यक्ति ग्रसित हो जाता है.


आज कल जो बेड हैं वह देखने में बहुत अच्छे हैं.. टेक्निकल हैं लेकिन बेड सरल और आरामदेह होना मुख बात हैं. सोफा कम बेड का चलन हो गया है, लेकिन यह भी ठीक नहीं है. शय्या में आने के बाद व्यक्ति बहुत ही सरल होता है निश्छल होता है, लेकिन रूप बदलने वाला बेड ऐसी अवस्था के विपरीत है. 


-संयुक्त बेड का चलन अब घर-घर में हो गया है, उस पर एक ही गद्दा होना उचित नहीं है. पहले दो अलग-अलग पलंग एक साथ जोड़कर रखे जाते थे, वही स्थिति ठीक थी. पत्नी को बायीं ओर सोना चाहिए गृहस्थों को दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोना चाहिए. विद्यार्थियों को पूर्व की ओर. गृहस्थों में जो लोग सूर्योदय से पहले जाग जाते हैं वे ही पूर्व दिशा में सिर करके सो सकते हैं. आज कल लोग अधिकांश मार्केट से खरीदते हैं. खरीदते समय ध्यान रखना चाहिए कि मेटल का न लें, कोशिश करके लकड़ी का ही बेड खरीदें. आकर्षक ऑफर की लालच में गलत बेड न लें, क्योंकि यह आपके जीवन से जुडी बात है. 


यदि आप कारपेंटर से बनवा रहे हैं तो किस लकड़ी का बनवाएं. खैर, सागौन, अर्जुन, देवदार, अशोक, महुआ और आम की लकड़ी से बना बेड लाभकारी होता है. दक्षिण भारत के ग्रंथों में पलंग के लिए चंदन का प्रयोग भी उचित माना गया है, जबकि अन्य क्षेत्र के ग्रंथों में चंदन की लकड़ी की शय्या और पादुकाओं को वर्जित बताया गया है. बरगद, गूलर, नीम, कैथा, चंपक, घव, शिरीष, कोविदार आदि का प्रयोग घर के अंदर सर्वथा वर्जित है. पलंग बनाने में इनका प्रयोग कदापि नहीं करना चाहिए. 


आजकल फर्नीचर बनाने में बबूल की लकड़ी का इस्तेमाल इसलिए ज्यादा होने लगा है, क्योंकि अन्य लकड़ियां बहुत महंगी होती जा रही हैं. शास्त्रों में कहा गया है, कि बबूल और इमली की लकड़ी में निगेटिव एनर्जी का वास होता है. इस लकड़ी से बने पलंग पर सोने से मानसिक अशांति, उद्वेग आदि से व्यक्ति ग्रसित हो जाता है. इसी तरह पीपल वनस्पतियों में वृक्षराज कहा जाता है, इसलिए पलंग के लिए इसका प्रयोग निषेध है. शास्त्रों में इसे काटने या नुकसान पहुंचाने को अक्षम्य अपराध बताया है.


-बेड लेते या बनवाते समय ध्यान रहे कि बेड कभी गोल नहीं बनवाना चाहिए. हमेशा आयताकार बेड ही बनवाना चाहिए. बेड में कोने होना शुभ होता है. 


-पलंग के माप के बारे में विधान है कि पलंग की लंबाई सोने वाले व्यक्ति की लम्बाई से कुछ अधिक होनी चाहिए. अतः आपके पैर बेड के बाहर नहीं जाने चाहिए.  


-पलंग में शीशा लगा होना वास्तु की दृष्टि से महत्वपूर्ण दोष है. यदि शयन करते समय व्यक्ति को अपना प्रतिबिंब नजर आए तो यह बहुत बड़ा वास्तु दोष है, यह स्थिति आयु को क्षीण करती है तथा दीर्घकालिक रोगों को जन्म देती है.


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